राजू मिली [ रिपोर्टर असम ]
बेरोजगारी और आर्थिक कमजोरी आज देश के सामने एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। इसका समाधान केवल नौकरी प्राप्त करने में नहीं है, बल्कि शिक्षा और विज्ञान का सही तरीके से उपयोग करते हुए कृषि और व्यापार के क्षेत्र में नवाचार लाने की आवश्यकता है।
बेरोजगारी की समस्या का मूल कारण
आज का समाज नौकरी उन्मुख हो गया है, जहां युवा सिर्फ सरकारी या निजी नौकरियों पर निर्भर रहते हैं। इससे स्वरोजगार और उद्यमिता के अवसरों की अनदेखी हो रही है। उच्च शिक्षित युवा भी सिर्फ नौकरी की तलाश तक सीमित रह जाते हैं, जिससे उनका कौशल सही दिशा में उपयोग नहीं हो पाता। इसके साथ ही, कृषि क्षेत्र, जो देश की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है, आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की कमी के कारण पिछड़ता जा रहा है।
शैक्षिक ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का महत्व
शिक्षा केवल डिग्री तक सीमित न होकर इसे व्यावहारिक और तकनीकी ज्ञान से जोड़ने की आवश्यकता है। कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिक विधियों का उपयोग कर उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। उदाहरण के लिए, ड्रिप इरिगेशन, जैविक खेती, और बेहतर बीज तकनीक के उपयोग से किसानों की आमदनी में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, छोटे और मझोले उद्योगों में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देकर व्यापार के अवसरों का विस्तार किया जा सकता है।
कृषि और व्यापार के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में यदि किसानों को बेहतर तकनीकी ज्ञान और आधुनिक उपकरण दिए जाएं, तो यह न केवल उनकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा। इसी प्रकार, व्यापार के क्षेत्र में नवाचार और प्रबंधन कौशल का उपयोग कर आर्थिक सशक्तिकरण संभव है।
निष्कर्ष
देश की बेरोजगारी और आर्थिक कमजोरी का समाधान शैक्षिक सुधार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है। शिक्षा को रोजगार-उन्मुख बनाने के बजाय इसे कृषि और व्यापार में नवाचार और उद्यमिता से जोड़ना होगा, जिससे देश आर्थिक रूप से सशक्त बन सकेगा।