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अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस: आपदाओं से बचाव के लिए वैश्विक पहल

अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस हर साल 13 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन विश्वभर में आपदा जोखिम को कम करने और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य यह है कि हम प्राकृतिक और मानव-निर्मित आपदाओं के प्रभाव को कम कर सकें, और इसके लिए सही योजना, तैयारी और प्रबंधन की जरूरत को समझें।

आपदा जोखिम न्यूनीकरण: एक सामूहिक जिम्मेदारी

आपदाओं से होने वाली क्षति केवल जीवन और संपत्ति तक ही सीमित नहीं रहती, बल्कि यह समाज, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर भी गहरा असर डालती है। जलवायु परिवर्तन, तेजी से बढ़ती जनसंख्या और असंगठित शहरीकरण ने आपदाओं की आवृत्ति और गंभीरता को बढ़ा दिया है। ऐसे में, आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) का महत्व और भी बढ़ गया है।

आपदा जोखिम न्यूनीकरण का उद्देश्य आपदा के संभावित खतरों को पहचानना, उनका आकलन करना और उनसे निपटने के लिए तैयारी करना है। यह प्रक्रिया आपदा के पहले, दौरान और बाद में लोगों को सुरक्षित रखने के लिए काम करती है।

अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस का इतिहास

1989 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिवस की शुरुआत की थी, ताकि आपदाओं से निपटने के लिए वैश्विक समुदाय को जागरूक किया जा सके। इस दिन का उद्देश्य सरकारों, संगठनों और समुदायों को आपदा प्रबंधन में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

2024 की थीम: “अवसर का उपयोग, आपदा को कम करें”

हर साल इस दिवस के लिए एक विशेष थीम निर्धारित की जाती है। 2024 की थीम “अवसर का उपयोग, आपदा को कम करें” (Harnessing Opportunities to Reduce Disasters) है। इस थीम का उद्देश्य यह है कि आपदा जोखिम को कम करने के लिए नई तकनीकों, संसाधनों और अवसरों का उपयोग किया जाए और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के तहत आपदा प्रबंधन को सशक्त बनाया जाए।

आपदा जोखिम न्यूनीकरण के प्रमुख घटक

1. जोखिम की पहचान और मूल्यांकन: संभावित आपदाओं का आकलन करके हम उन्हें रोकने और उनसे निपटने के लिए बेहतर तैयारी कर सकते हैं।

2. पूर्व चेतावनी प्रणाली: समय पर चेतावनी और पूर्वानुमान प्रणाली के माध्यम से आपदाओं से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

3. सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए आवश्यक है। जागरूकता और शिक्षा से लोग आपदाओं के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकते हैं।

4. निवेश और संसाधन प्रबंधन: बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवाओं और आपातकालीन सेवाओं में निवेश करने से आपदा के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

5. जलवायु परिवर्तन अनुकूलन: जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाओं की तीव्रता बढ़ी है, इसलिए DRR रणनीतियों में जलवायु अनुकूलन को भी शामिल करना आवश्यक है।

भारत में आपदा प्रबंधन

भारत, जो अक्सर बाढ़, भूकंप और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होता है, ने आपदा प्रबंधन और जोखिम न्यूनीकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की स्थापना करके, भारत सरकार ने देशव्यापी आपदा प्रबंधन के लिए नीतियों और दिशा-निर्देशों को लागू किया है। इसके साथ ही, ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005’ और ‘राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना 2016’ जैसी योजनाओं ने आपदाओं के प्रति तैयारी को और मजबूत किया है।

आपदा-लचीला भविष्य की ओर

अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस हमें यह सिखाता है कि आपदा से बचाव केवल सरकार या संगठनों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर व्यक्ति की है। जागरूकता बढ़ाकर, बेहतर योजना बनाकर और वैश्विक सहयोग से हम आपदाओं के प्रभाव को कम कर सकते हैं और अधिक सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।

आपदाओं से निपटने की यह वैश्विक पहल हमें जलवायु परिवर्तन और अन्य आपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। सतत विकास, तकनीकी प्रगति और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से हम एक सुरक्षित और लचीला भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।

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