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कौशांबी में सहायक निदेशक मत्स्य निलंबित, लापरवाही के आरोप में हुआ मुख्यालय अटैचमेंट

सांकेतिक तस्वीर

कौशांबी: प्रदेश के मत्स्य विभाग में कार्यरत सहायक निदेशक गिरीश चंद्र यादव को लापरवाही के गंभीर आरोपों के चलते निलंबित कर दिया गया है। मत्स्य मंत्री डॉ. संजय निषाद की कड़ी नाराजगी के बाद यह कार्रवाई की गई है। निलंबन के साथ ही यादव को लखनऊ मुख्यालय से अटैच किया गया है। उन पर मछुआ कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत मत्स्य जीवित समितियों के गठन में लापरवाही बरतने का आरोप है।

यह घटना तब सामने आई जब अक्टूबर 2024 की शुरुआत में मत्स्य मंत्री डॉ. संजय निषाद ने कौशांबी जनपद का दौरा किया। दौरे के दौरान उन्होंने जिलाधिकारी से फिसरीज से जुड़ी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी मांगी। जिलाधिकारी ने मंत्री को सूचित किया कि जनपद में मछुआ कल्याण योजनाओं के संचालन में गंभीर खामियां हैं और योजनाओं का क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं हो रहा है। खासतौर पर, सहायक निदेशक गिरीश चंद्र यादव ने मत्स्य जीवित समितियों का गठन नहीं किया, जिसके कारण योजनाएं अटकी हुई हैं।

मंत्री ने इस लापरवाही पर गहरा असंतोष व्यक्त करते हुए बैठक में स्पष्ट किया कि किसी भी विभागीय योजना में ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजनाओं का क्रियान्वयन पूरी तत्परता से किया जाए और लक्ष्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए।

इस नाराजगी के बाद प्रमुख सचिव ने तत्काल प्रभाव से गिरीश चंद्र यादव के निलंबन का आदेश जारी कर दिया। लापरवाही की जांच और विभागीय कार्रवाई के दौरान उन्हें लखनऊ मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है।

योजनाओं की गंभीरता

प्रदेश सरकार द्वारा मछुआरों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें मत्स्य जीवित समितियों का गठन प्रमुख है। इन समितियों का उद्देश्य मछुआरों को संगठित करना और उन्हें सरकारी योजनाओं से लाभान्वित करना है। लेकिन कौशांबी जनपद में इन समितियों के गठन में हो रही देरी ने इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया।

मंत्री का सख्त रुख

डॉ. संजय निषाद ने बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि मछुआरों के जीवन स्तर में सुधार के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, और इस दिशा में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी योजनाओं को समय पर पूरा किया जाए और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ठोस प्रयास किए जाएं।

भविष्य की दिशा

मछुआ कल्याण योजनाओं में हो रही इस प्रकार की लापरवाही के बाद, अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रदेश के किसी भी जिले में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस घटना ने अधिकारियों को भी सचेत कर दिया है कि अगर किसी भी योजना में कोई खामी पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस निलंबन के बाद कौशांबी जनपद में मछुआ योजनाओं के क्रियान्वयन की गति तेज होने की उम्मीद की जा रही है, और भविष्य में इन योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक मछुआरों तक पहुंचाने पर जोर दिया जाएगा।

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