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2027 यूपी विधानसभा चुनावों की तैयारी: RSS के एजेंडे पर BJP का फोकस

सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सियासी समीकरण को लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा संचालित किया जाता रहा है। हालांकि BJP संगठन चुनावी तैयारियों को संभालता है, लेकिन चुनावों की दिशा और एजेंडा तय करने का काम RSS के कंधों पर रहता है। 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर RSS एक बार फिर सक्रिय हो चुका है, और इसका संकेत RSS प्रमुख मोहन भागवत के मथुरा प्रवास से मिलता है।

मोहन भागवत ने हाल ही में मथुरा में 10 दिनों का प्रवास किया, जो कई राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ बंद कमरे में 2 घंटे तक बैठक करते रहे। इस मुलाकात से यह संकेत मिलता है कि आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए BJP और RSS के बीच तालमेल बेहद मजबूत किया जा रहा है।

2024 के लोकसभा चुनाव से मिली सीख

2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश में 63 सीटों का नुकसान हुआ। इसके बाद यह साफ हुआ कि संघ को चुनावी रणनीतियों में नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। इस अनुभव के आधार पर BJP अब 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले संघ के एजेंडे को प्राथमिकता दे रही है।

संघ का ब्रज से संदेश

मोहन भागवत का मथुरा प्रवास केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि राजनीतिक तौर पर भी बेहद अहम है। RSS हमेशा से अपने प्रचारकों और विस्तारकों के माध्यम से जमीन पर संगठन को मजबूत करता आया है। आने वाले समय में इन प्रचारकों और विस्तारकों को नई जिम्मेदारियां सौंपने की चर्चा भी है, जो भाजपा को चुनावी सफलता दिलाने में अहम भूमिका निभाएंगे।

संघ और BJP का नया रोडमैप

2027 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए, RSS और BJP दोनों ही मिलकर नया रोडमैप तैयार कर रहे हैं। इसमें चुनावी एजेंडा, जातिगत समीकरण, विकास की योजनाएं, और हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों को कैसे जनता तक पहुंचाया जाए, इस पर फोकस किया जा रहा है। मोहन भागवत के इस प्रवास से यह संकेत मिलता है कि संघ के संगठनात्मक ढांचे के तहत BJP 2027 के चुनावों की दिशा तय करेगी और जीत को सुनिश्चित करने के लिए नए रणनीतिक कदम उठाएगी।

BJP और RSS का यह संयुक्त प्रयास उत्तर प्रदेश की सियासी तस्वीर को नए सिरे से गढ़ने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है, जहां एक ओर BJP संगठनात्मक मजबूती पर काम कर रही है, वहीं दूसरी ओर संघ अपने प्रचारकों के जरिए जमीनी स्तर पर जनसंपर्क बढ़ा रहा है।

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