भारत और चीन ने सीमा विवाद को लेकर अपनी आखिरी चरण की असहमति को 21 अक्टूबर को सफलतापूर्वक समाप्त कर लिया है। इस disengagement (विघटन) प्रक्रिया को लेकर जारी कार्य को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक “सकारात्मक कदम” बताया। जयशंकर ने यह बयान ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पेनी वोंग के साथ कैनबरा में आयोजित एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान दिया।
संवाददाता सम्मेलन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में जयशंकर ने कहा, “21 अक्टूबर को हमने असहमति के अंतिम चरण को पूरा किया है, जिसमें पहले के कुछ चरण भी शामिल हैं। यह समझौता वर्तमान में क्रियान्वयन की प्रक्रिया में है। हाल ही में हुए समझौते का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के गश्त (patrolling) के अधिकारों को स्पष्ट करना है। कुल मिलाकर, यह एक सकारात्मक कदम है।”
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और विदेश मंत्रियों के बीच बैठकों की योजना बनाई है। “यह सहमति बनी है कि इस प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद, हमें कुछ अन्य चुनौतियों का भी समाधान करना होगा, जिनमें बलों का विस्थापन (de-escalation) शामिल है। कज़ान में हुए ब्रिक्स बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच भी इसी विषय पर चर्चा हुई थी।”
भारत और चीन के बीच यह विघटन प्रक्रिया, दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों और क्षेत्रीय स्थिरता को देखते हुए, कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।