आज के तेज़-रफ्तार और व्यस्त जीवन में मानसिक स्वास्थ्य और समग्र भलाई की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस हो रही है। ध्यान, जो एक प्राचीन और पारंपरिक अभ्यास है, अब समग्र स्वास्थ्य को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन बन चुका है। इसी कारण, भारत और अन्य देशों के प्रस्तावों के जवाब में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 दिसंबर को ‘विश्व ध्यान दिवस’ के रूप में घोषित किया है। यह तारीख विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के छह महीने बाद आती है, जो हर साल 21 जून को मनाया जाता है।
विश्व ध्यान दिवस के रूप में इस मान्यता का भारत के लिए विशेष महत्व है, क्योंकि ध्यान का महत्व भारतीय वेदों और पुराणों में हजारों वर्षों से बताया गया है। इन प्राचीन ग्रंथों में ध्यान के विभिन्न रूपों, उनकी तकनीकों और उनके लाभों का विस्तार से वर्णन किया गया है। भारतीय संस्कृति में ध्यान का स्थान अत्यधिक है और यह मानसिक शांति, आत्मज्ञान और ब्रह्मा के साथ एकता की ओर मार्गदर्शन करता है।
दुनिया भर में ध्यान के कई रूप प्रचलित हैं, जिनमें माइंडफुलनेस, ट्रांसेंडैंटल ध्यान और अन्य तकनीकों का समावेश है। इन सभी का उद्देश्य एक ही है – मन को शांत करना, तनाव को कम करना और मानसिक शांति की स्थिति प्राप्त करना। आज के इस युग में जहां मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं, ध्यान एक मूल्यवान उपकरण बन चुका है, जो आधुनिक जीवन के दबावों को कम करने में मदद करता है। यह केवल आध्यात्मिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान है। शोध लगातार यह साबित कर रहे हैं कि ध्यान न केवल मानसिक स्थिति को सुधारता है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य में भी लाभकारी है, जैसे कि रक्तचाप में कमी और आत्म-संयम में वृद्धि।
विश्व ध्यान दिवस का संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त करना यह साबित करता है कि ध्यान का महत्व अब दुनिया भर में बढ़ रहा है। यह दिवस वैश्विक स्तर पर लोगों को मानसिक शांति और समग्र स्वास्थ्य की ओर प्रेरित करने का एक अवसर है। यह हमें यह याद दिलाता है कि हम सभी को अपने व्यस्त जीवन से कुछ समय निकालकर आत्म-समर्पण के इस साधन का अभ्यास करना चाहिए, ताकि हम मानसिक शांति और संतुलन को प्राप्त कर सकें।
21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में मनाना, केवल एक उत्सव नहीं बल्कि यह एक अनुस्मारक है कि ध्यान आज के मानसिक तनावपूर्ण समय में कितना आवश्यक है। यह दिन हमें ध्यान की प्राचीन परंपराओं को समझने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का अवसर प्रदान करता है, जिससे हम अपनी मानसिक और शारीरिक भलाई को सुनिश्चित कर सकें।