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बजट सत्र 2025: प्रधानमंत्री के उद्बोधन का विश्लेषण

परिचय

31 जनवरी 2025 को संसद के बजट सत्र की शुरुआत के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया। यह संबोधन न केवल देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति का रोडमैप प्रस्तुत करता है, बल्कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को भी सुदृढ़ करता है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में युवाओं, महिलाओं, गरीबों, मध्यम वर्ग और समग्र रूप से राष्ट्र के विकास पर जोर दिया।


प्रधानमंत्री का संबोधन: मुख्य बिंदु

1. मां लक्ष्मी को नमन और समृद्धि की प्रार्थना

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत भारतीय परंपरा के अनुरूप मां लक्ष्मी को नमन करते हुए की। उन्होंने मां लक्ष्मी के आशीर्वाद की कामना करते हुए कहा कि यह बजट देश के हर गरीब और मध्यम वर्ग के लिए नई उम्मीदें लेकर आएगा। उनका यह भावनात्मक संबोधन भारत की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है, जहां समृद्धि और कल्याण का प्रतीक देवी लक्ष्मी को माना जाता है।

2. भारत के लोकतांत्रिक सफर के 75 वर्ष और नया दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री ने भारत के गणतंत्र के 75 वर्षों की यात्रा को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह न केवल देशवासियों के लिए, बल्कि वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए भी गौरव का विषय है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने इन वर्षों में अपनी शक्ति को सिद्ध किया है और अब यह समय आगे बढ़ने का है।

3. तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट: विकसित भारत की नींव

2024 के आम चुनावों के बाद यह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में तीसरी सरकार का पहला पूर्ण बजट है। उन्होंने कहा कि यह बजट न केवल आर्थिक विकास की नई ऊंचाइयों को छूने का अवसर प्रदान करेगा, बल्कि 2047 में आजादी के 100 वर्षों के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी होगा।

4. मिशन मोड में सर्वांगीण विकास

प्रधानमंत्री ने “मिशन मोड” में कार्य करने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि विकास को केवल आर्थिक या भौगोलिक सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता, बल्कि यह सामाजिक और तकनीकी क्षेत्र में भी समान रूप से होना चाहिए। उनके अनुसार, “इनोवेशन, इंक्लूजन और इन्वेस्टमेंट” भारत की आर्थिक नीति का आधार बना रहेगा।

5. महिला सशक्तिकरण पर विशेष जोर

इस सत्र में महिलाओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण कानूनों और नीतियों पर विचार किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक महिला को सम्मानपूर्ण जीवन और समान अधिकार मिलना चाहिए, चाहे वह किसी भी पंथ, जाति या धर्म से संबंधित हो। यह उनके “नारी शक्ति” के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

6. “रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म” की नीति

प्रधानमंत्री ने सुधार (Reform), प्रदर्शन (Perform) और परिवर्तन (Transform) के सिद्धांत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि तेजी से विकास के लिए सुधार आवश्यक हैं, केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर कार्य करना होगा और जनता की भागीदारी से ही सही मायने में परिवर्तन संभव होगा।

7. युवा शक्ति: विकसित भारत के लाभार्थी

उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जो आज 20-25 वर्ष के हैं, वे जब 2047 में 45-50 वर्ष के होंगे, तो वे विकसित भारत के सबसे बड़े लाभार्थी होंगे। उन्होंने इसे युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर बताया और कहा कि यदि वे आज जागरूक होकर योगदान देंगे, तो भविष्य में वे स्वयं इसका लाभ उठाएंगे।

8. विदेशी हस्तक्षेप और भारत की स्थिरता

प्रधानमंत्री ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में यह पहला अवसर है जब किसी भी विदेशी शक्ति ने संसद सत्र से पहले अशांति फैलाने का प्रयास नहीं किया। यह भारत की स्थिरता और आंतरिक शक्ति को दर्शाता है।


निष्कर्ष

प्रधानमंत्री का यह भाषण भारत के भविष्य को दिशा देने वाला था। यह स्पष्ट रूप से एक आत्मनिर्भर, समृद्ध और विकसित भारत के निर्माण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने बजट सत्र को ऐतिहासिक अवसर बताते हुए सभी सांसदों से सक्रिय भागीदारी की अपील की, विशेष रूप से युवा सांसदों से।

यह बजट न केवल आर्थिक सुधारों को गति देगा, बल्कि महिला सशक्तिकरण, युवाओं के भविष्य, सामाजिक समरसता और वैश्विक स्तर पर भारत की मजबूत स्थिति को भी परिभाषित करेगा। प्रधानमंत्री की यह सोच देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाने में सहायक होगी।

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