प्रयागराज, 2 फरवरी – महाकुंभ 2025 की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भव्यता का अनुभव करने के लिए 71 देशों के राजनयिकों का एक 110-सदस्यीय विदेशी प्रतिनिधिमंडल प्रयागराज पहुंचा। इस विशेष यात्रा का नेतृत्व भारत सरकार के विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मरघेरिटा ने किया। इस दौरान विदेशी मेहमानों ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई और भारतीय संस्कृति के इस दिव्य आयोजन का प्रत्यक्ष अनुभव लिया।
विदेशी राजनयिकों का ऐतिहासिक दौरा
भारत के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने इस यात्रा की जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह दौरा राजनयिकों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव रहा। उन्होंने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
“110 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, जिसमें विभिन्न देशों के राजदूत, उनके जीवनसाथी और अन्य राजनयिक शामिल थे, महाकुंभ 2025 में शामिल हुए। इस ऐतिहासिक अवसर पर विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मरघेरिटा ने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। आइए, इस विशाल धार्मिक आयोजन में उनकी आध्यात्मिक यात्रा की एक झलक देखें।”
महाकुंभ: दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन
प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक मेला है, जहां करोड़ों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। कुंभ मेले की पौराणिकता और धार्मिक महत्ता के कारण इसे “सबसे बड़े मानव समागम” के रूप में जाना जाता है। इस आयोजन में साधु-संत, आध्यात्मिक गुरु, विद्वान और श्रद्धालु स्नान, पूजा और संत समागम के माध्यम से आत्मशुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का प्रयास करते हैं।
विदेशी मेहमानों ने की संगम में डुबकी
विदेशी प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने प्रयागराज के पावन संगम तट पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल पर आस्था की डुबकी लगाई। इस दौरान वे भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं और संस्कृति के विविध रंगों से परिचित हुए।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने भारतीय योग, ध्यान और सनातन संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास किया। कई राजनयिकों ने इस अनुभव को अद्वितीय बताते हुए कहा कि महाकुंभ में आना उनके लिए एक अभूतपूर्व अनुभव है, जो आध्यात्मिक शांति और भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी समझ को और अधिक गहरा करता है।
महाकुंभ 2025 की भव्य तैयारियां
महाकुंभ 2025 के सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार व्यापक तैयारियां कर रही हैं। आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए इस मेले को “दिव्य, भव्य औरw डिजिटल महाकुंभ” बनाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था, स्वच्छता, यातायात और विदेशी आगंतुकों के लिए विशेष सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय संस्कृति की पहचान
विदेशी राजनयिकों की यह यात्रा भारत की आध्यात्मिक विरासत को वैश्विक मंच पर मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आयोजन न केवल भारतीय परंपराओं का प्रचार करता है, बल्कि विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को भी प्रगाढ़ करता है।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2025 में 71 देशों के राजनयिकों की यह भागीदारी भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि की गूंज को विश्व स्तर पर पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह आयोजन भारतीय संस्कृति के वैश्विक आकर्षण और आध्यात्मिकता की महत्ता को रेखांकित करता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि महाकुंभ 2025 किस प्रकार दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है और भारतीय संस्कृति की अमिट छाप छोड़ता है।