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प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़: सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया और आगे की राह

Anoop singh

प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़: एक गंभीर मुद्दा

29 जनवरी को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेले के दौरान हुई भगदड़ ने देशभर में चिंता बढ़ा दी है। यह धार्मिक आयोजन लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, लेकिन इस बार की घटना ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई थी, जिसमें सुरक्षा उपायों को प्रभावी बनाने और VIP मूवमेंट को नियंत्रित करने की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया लेकिन इस मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। अदालत का मानना था कि हाई कोर्ट इस मामले को बेहतर ढंग से देख सकता है और उचित आदेश जारी कर सकता है।

याचिका में क्या मांग की गई थी?

यह याचिका अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देने की अपील की गई थी:

  1. VIP मूवमेंट का नियंत्रण – महाकुंभ के दौरान VIP आवाजाही को इस तरह से संचालित किया जाए कि आम श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
  2. बेहतर प्रवेश और निकासी प्रबंधन – मेला स्थल पर आने-जाने के लिए अधिक मार्ग खोले जाएं ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।
  3. भविष्य के लिए सुरक्षा उपाय – उत्तर प्रदेश सरकार को महाकुंभ 2025 की सुरक्षा व्यवस्था पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाए।

उत्तर प्रदेश सरकार की स्थिति

राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत को अवगत कराया कि इस घटना की जांच के लिए पहले ही एक न्यायिक आयोग गठित किया जा चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि इसी विषय पर एक अन्य याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबित है। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने की सलाह दी।

महाकुंभ 2025: सुरक्षा के नए मानदंडों की आवश्यकता

महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस मेले की सुरक्षा हमेशा एक चुनौतीपूर्ण कार्य रही है। इस भगदड़ की घटना ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है और आने वाले महाकुंभ 2025 में अधिक प्रभावी सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

सरकार को चाहिए कि वह सुरक्षा के नए मानक स्थापित करे, जिसमें भीड़ प्रबंधन, आपातकालीन निकासी योजना, बेहतर संचार प्रणाली और तकनीकी सहायता का उपयोग शामिल हो।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट ने महाकुंभ भगदड़ को गंभीर घटना माना, लेकिन इस पर सीधा हस्तक्षेप करने के बजाय याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने की सलाह दी। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाता है और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर क्या निर्देश देता है।

इस घटना ने एक बार फिर प्रशासन और सरकार को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बड़े धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त और प्रभावी बनाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को टाला जा सके।

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