
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि हाइब्रिड वॉरफेयर के बढ़ते खतरे के कारण सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के बीच का अंतर धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे (Critical National Infrastructure) पर हमले अब केवल युद्धकाल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि शांति के समय में भी किए जा सकते हैं।
बेंगलुरु में ‘BRIDGE’ सम्मेलन में रक्षा मंत्री का संबोधन
राजनाथ सिंह बेंगलुरु के होटल ताज वेस्ट एंड में आयोजित “BRIDGE – Building Resilience through International Defence and Global Engagement” नामक रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में तेजी से हो रहे बदलावों पर चिंता व्यक्त की।
बदलता वैश्विक परिदृश्य और नई चुनौतियां
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज दुनिया लगातार अधिक अस्थिर और अप्रत्याशित होती जा रही है। उन्होंने कहा:
- नए संघर्षों के कारण वैश्विक परिदृश्य और अधिक अस्थिर हो गया है।
- नए शक्ति संतुलन, नई सैन्य रणनीतियाँ और गैर-राज्य तत्वों (Non-State Actors) की बढ़ती भूमिका ने विश्व व्यवस्था को अधिक नाजुक बना दिया है।
- डिजिटल और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के विकास ने सुरक्षा की पारंपरिक परिभाषा को चुनौती दी है।
हाइब्रिड वॉरफेयर और बदलती सीमाएँ
रक्षा मंत्री ने कहा कि परंपरागत युद्ध की अवधारणा अब सीमित नहीं रह गई है। साइबरस्पेस और अंतरिक्ष जैसी नई सीमाएँ, संप्रभुता (Sovereignty) की पारंपरिक परिभाषा को चुनौती दे रही हैं। उन्होंने कहा:
- सीमाओं की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा का अंतर खत्म हो रहा है।
- अब युद्ध केवल सीमा पर नहीं लड़ा जाता, बल्कि साइबर हमलों, आर्थिक दबाव और तकनीकी हस्तक्षेप के रूप में भी लड़ा जा सकता है।
- महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे पर हमले अब केवल युद्धकाल में ही नहीं बल्कि शांति के समय में भी हो सकते हैं।
आतंकवाद, साइबर अपराध और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरे
राजनाथ सिंह ने भारत को प्रभावित करने वाली प्रमुख सुरक्षा चुनौतियों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत को आतंकवाद, साइबर अपराध, मानवीय संकट (Humanitarian Crisis) और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है, जो राष्ट्रीय सीमाओं से परे जाकर वैश्विक समस्या बन चुके हैं।
निष्कर्ष
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह बयान दर्शाता है कि सुरक्षा की अवधारणा लगातार विकसित हो रही है और अब यह केवल पारंपरिक युद्ध तक सीमित नहीं रह गई है। भारत को अपनी साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष सुरक्षा, और तकनीकी रक्षा प्रणाली को मजबूत करना होगा ताकि हाइब्रिड वॉरफेयर और नई सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपटा जा सके।