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ट्रंप प्रशासन का स्वतंत्र एजेंसी प्रमुख को हटाने का प्रयास, अदालत ने लगाया अस्थायी प्रतिबंध

वॉशिंगटन, डी.सी. – 18 फरवरी 2025 – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने स्वतंत्र एजेंसी ऑफिस ऑफ स्पेशल काउंसल (OSC) के प्रमुख हैम्पटन डेलिंजर को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। यह एजेंसी सरकारी व्हिसलब्लोअर्स (सच उजागर करने वाले कर्मचारियों) की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। हालांकि, एक संघीय न्यायाधीश ने 12 फरवरी 2025 को एक आदेश जारी कर ट्रंप प्रशासन को अस्थायी रूप से डेलिंजर को हटाने से रोक दिया था।

संघीय अदालत ने हटाने पर लगाई रोक

ट्रंप प्रशासन की ओर से न्याय विभाग (Justice Department) ने सुप्रीम कोर्ट में एक आपातकालीन याचिका दायर कर इस रोक को हटाने की मांग की है। प्रशासन का कहना है कि राष्ट्रपति को कार्यकारी अधिकारियों को नियुक्त करने और हटाने का पूरा अधिकार है और निचली अदालत का यह फैसला कार्यकारी शक्तियों (Executive Powers) में हस्तक्षेप करता है।

संघीय अदालत का यह फैसला ट्रंप प्रशासन के लिए एक बड़ी कानूनी चुनौती बन गया है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रशासन को OSC प्रमुख को हटाने की अनुमति मिलती है, तो यह स्वतंत्र एजेंसियों की स्वायत्तता को कमजोर कर सकता है।

व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा पर सवाल

ओएससी एक महत्वपूर्ण स्वतंत्र एजेंसी है जो सरकारी अधिकारियों द्वारा की गई अनियमितताओं को उजागर करने वाले कर्मचारियों की रक्षा और अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

ट्रंप प्रशासन द्वारा डेलिंजर को हटाने के प्रयासों की कड़ी आलोचना हो रही है। कई कानूनी विशेषज्ञों और सरकार पर नजर रखने वाले संगठनों का कहना है कि यह कदम राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हो सकता है और इससे सरकारी पारदर्शिता प्रभावित होगी।

हालांकि, प्रशासन के समर्थक यह दलील दे रहे हैं कि राष्ट्रपति को यह अधिकार होना चाहिए कि वे स्वतंत्र एजेंसियों के प्रमुखों को नियुक्त या बर्खास्त कर सकें, क्योंकि ये एजेंसियां कार्यपालिका का हिस्सा हैं।

अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी नजरें

अब तक यह मामला सुप्रीम कोर्ट में दर्ज नहीं हुआ है, लेकिन इस पर जल्द सुनवाई होने की संभावना है। यदि कोर्ट इस पर सुनवाई करने के लिए सहमत होता है, तो यह मामला कार्यकारी शक्तियों और स्वतंत्र एजेंसियों की स्वायत्तता को लेकर एक महत्वपूर्ण संवैधानिक मिसाल स्थापित कर सकता है।

इस कानूनी लड़ाई का असर न केवल ओएससी पर बल्कि पूरे अमेरिकी प्रशासनिक ढांचे पर पड़ सकता है। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला देता है और ट्रंप प्रशासन की मांग को स्वीकार करता है या नहीं।

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