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उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ का अरुणाचल प्रदेश के कामले जिले का दौरा: न्योकुम युलो समारोह में मुख्य अतिथि

Anoop singh

भारत के उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़, 26 फरवरी 2025 को अरुणाचल प्रदेश के कामले जिले के एक दिवसीय दौरे पर रहेंगे। इस यात्रा के दौरान, वह काम्पोरिजो सर्किल में पहली बार आयोजित भव्य न्योकुम युलो समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। यह समारोह अरुणाचल प्रदेश की न्याशी जनजाति का एक प्रमुख पारंपरिक त्योहार है, जो कृषि और समृद्धि के लिए देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के साथ मनाया जाता है।

न्योकुम युलो का महत्व

न्योकुम युलो त्योहार अरुणाचल प्रदेश की न्याशी जनजाति द्वारा मनाया जाता है, जिसमें लोग सामूहिक रूप से प्रकृति की पूजा करते हैं और समुदाय की खुशहाली, कृषि उत्पादन और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। यह त्योहार आमतौर पर 26 फरवरी को मनाया जाता है और इसे पारंपरिक नृत्य, संगीत, खेलकूद प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ भव्य रूप से आयोजित किया जाता है।

उपराष्ट्रपति की यात्रा का महत्व

श्री जगदीप धनखड़ की इस यात्रा को लेकर अरुणाचल प्रदेश के स्थानीय प्रशासन और न्याशी समुदाय में उत्साह का माहौल है। इस ऐतिहासिक अवसर पर पहली बार किसी उपराष्ट्रपति की उपस्थिति से इस पारंपरिक उत्सव को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। उपराष्ट्रपति इस समारोह के दौरान स्थानीय नेताओं, गणमान्य व्यक्तियों और आम जनता से भी संवाद करेंगे।

सरकार का पूर्वोत्तर राज्यों पर विशेष ध्यान

पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना को मजबूत करने के उद्देश्य से इस क्षेत्र में विभिन्न विकास परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। उपराष्ट्रपति की यह यात्रा न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देगी, बल्कि स्थानीय समुदायों को मुख्यधारा में जोड़ने के सरकार के प्रयासों को भी रेखांकित करेगी।

समारोह के मुख्य आकर्षण

निष्कर्ष

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ की इस यात्रा से अरुणाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिलेगी। न्योकुम युलो जैसे पारंपरिक त्योहारों को प्रोत्साहित करने से न केवल सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त किया जा सकेगा। इस यात्रा से यह संदेश मिलता है कि भारत सरकार पूर्वोत्तर राज्यों के समावेशी विकास और सांस्कृतिक संरक्षण के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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