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भारतीय नौसेना का पहला प्रशिक्षण स्क्वाड्रन थाईलैंड के फुकेट गहरे समुद्री बंदरगाह पर पहुंचा

Anoop singh

भारतीय नौसेना का पहला प्रशिक्षण स्क्वाड्रन (1टीएस) अपनी दक्षिण-पूर्व एशिया की प्रशिक्षण तैनाती के तहत 1 मार्च 2025 को थाईलैंड के फुकेट गहरे समुद्री बंदरगाह पर पहुंचा। इस स्क्वाड्रन में आईएनएस शार्दुल, आईएनएस सुजाता और आईसीजीएस वीरा शामिल हैं। रॉयल थाई नेवी (आरटीएन) ने इन जहाजों का भव्य स्वागत किया, जिसमें आरटीएन बैंड द्वारा शानदार प्रस्तुति दी गई।

यात्रा का उद्देश्य और महत्व

भारतीय नौसेना की यह यात्रा न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए की गई है, बल्कि यह दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच आपसी तालमेल और समन्वय को भी बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है। इस यात्रा के दौरान संयुक्त सैन्य अभ्यास (पासेक्स), पेशेवर संवाद, योग सत्र, क्रॉस-ट्रेनिंग यात्राएं, खेल प्रतियोगिताएं और नौसेना बैंड प्रदर्शन जैसी कई गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी।

1टीएस के वरिष्ठ अधिकारी कैप्टन अंशुल किशोर ने जहाजों के कमांडिंग अधिकारियों के साथ थर्ड नेवल एरिया कमांड के कमांडर रियर एडमिरल सुवत डोनसाकुल से मुलाकात की। इस बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा, संयुक्त सैन्य अभ्यास और आपसी सहयोग बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया गया।

संयुक्त गतिविधियाँ और सहयोग

भारतीय नौसेना और रॉयल थाई नौसेना के बीच लंबे समय से घनिष्ठ और सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं, जो समय के साथ और मजबूत हुए हैं। इस यात्रा के दौरान निम्नलिखित प्रमुख गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी:

  1. संयुक्त सैन्य अभ्यास (पासेक्स) – यह अभ्यास नौसेनाओं की समन्वय क्षमता और आपसी परिचालन क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा।
  2. पेशेवर संवाद और क्रॉस-ट्रेनिंग यात्राएं – इससे दोनों नौसेनाओं के अधिकारियों और कर्मियों को एक-दूसरे की कार्यप्रणाली समझने का अवसर मिलेगा।
  3. योग सत्र – यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी माध्यम बनेगा।
  4. मैत्रीपूर्ण खेल आयोजन – इससे आपसी सौहार्द को बढ़ावा मिलेगा और नौसेना कर्मियों के बीच मित्रता को प्रोत्साहन मिलेगा।
  5. नौसेना बैंड प्रदर्शन – यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा और दोनों देशों के नौसेनिकों के बीच दोस्ती को मजबूत करेगा।

भारत-थाईलैंड नौसैनिक संबंध

भारत और थाईलैंड के बीच समुद्री सहयोग पिछले कुछ वर्षों में और गहरा हुआ है। यह यात्रा दोनों नौसेनाओं की बेहतर समझ और अंतर-संचालन क्षमता को मजबूत करती है। भारतीय नौसेना नियमित रूप से मित्र देशों के साथ संयुक्त अभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करती है, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है।

भारतीय नौसेना का यह प्रशिक्षण स्क्वाड्रन समुद्री कूटनीति का भी हिस्सा है, जिससे भारत अपने रणनीतिक साझेदारों के साथ सहयोग को और मजबूत करता है। यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जो भारत को दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करने में सहायता करती है।

निष्कर्ष

भारतीय नौसेना के पहले प्रशिक्षण स्क्वाड्रन की यह यात्रा भारत और थाईलैंड के बीच रक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच समन्वय को बढ़ावा देगा, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और आपसी विश्वास को भी मजबूत करेगा। इस प्रकार, यह दौरा भारत-थाईलैंड द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होगा।

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