अवैध तोड़फोड़ मामले में गुजरात अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली
16 अक्टूबर 2024, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका की सुनवाई तीन हफ्तों के लिए टाल दी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य के अधिकारियों ने आवासीय और धार्मिक संरचनाओं को अवैध रूप से तोड़ दिया, जबकि अदालत ने पहले ही अंतरिम रोक लगा रखी थी। जस्टिस बी.आर. गवई, पी.के. मिश्रा और के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई अब तीन हफ्तों बाद तय की है।
अवैध तोड़फोड़ के आरोप, अदालत के आदेश का उल्लंघन
याचिका में यह दावा किया गया है कि गुजरात के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के 17 सितंबर 2024 के आदेश का उल्लंघन किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि देशभर में, खासकर उन लोगों की संपत्तियों को जिन पर अपराध का आरोप है, बिना अदालत की पूर्व अनुमति के कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि राज्य सरकार ने इस आदेश की अवहेलना करते हुए तोड़फोड़ की कार्रवाई की, जिससे नागरिकों और धार्मिक संस्थानों को गंभीर नुकसान हुआ।
अदालत के अंतरिम रोक पर केंद्रित मामला
सुप्रीम कोर्ट का 17 सितंबर का आदेश मनमानी तोड़फोड़ को रोकने और न्यायिक निगरानी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जारी किया गया था। अदालत ने यह सुनिश्चित किया था कि बिना उसकी अनुमति के किसी भी संपत्ति को नहीं गिराया जाएगा। अवमानना याचिका में कहा गया है कि गुजरात के अधिकारियों ने इस आदेश की अनदेखी कर अवैध तरीके से तोड़फोड़ की।
आगे की सुनवाई पर नजर
सुनवाई तीन हफ्तों के लिए टलने के बाद, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेती है। अगर राज्य के अधिकारियों को अदालत के आदेश की अवमानना का दोषी पाया गया, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है। यह मामला राज्य सरकारों द्वारा तोड़फोड़ की कार्रवाई में अदालत के निर्देशों के पालन को लेकर एक महत्वपूर्ण नजीर साबित हो सकता है।
यह कानूनी मामला राज्य के कानून प्रवर्तन और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने के सवाल भी उठाता है, खासकर उन मामलों में जहां अपराध के आरोपों के आधार पर संपत्तियों को निशाना बनाया जाता है।