देवघर एटीसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को झारखंड सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को बहाल करने की अपील की गई थी। यह मामला अगस्त 2022 में देवघर के एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से चार्टर्ड फ्लाइट की टेक-ऑफ अनुमति से जुड़ा था।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की खंडपीठ ने झारखंड सरकार की अपील को ठुकराते हुए कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 441 (आपराधिक अतिक्रमण) और धारा 336 (जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने) के तहत मामला फिर से शुरू करने के लिए कोई ठोस आधार नहीं है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस मामले से संबंधित सभी सामग्री को चार सप्ताह के भीतर विमानन अधिनियम के तहत एक अधिकृत अधिकारी को भेजे। अधिकारी यह जांच करेंगे कि क्या इस कानून के तहत मामला दर्ज करना उचित है।
मामला क्या है?
झारखंड सरकार ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी और अन्य पर आरोप लगाया था कि उन्होंने देवघर एटीसी पर दबाव बनाया ताकि उनकी चार्टर्ड फ्लाइट को टेक-ऑफ की अनुमति दी जा सके। सरकार ने यह भी तर्क दिया था कि एटीसी क्षेत्र एक संरक्षित क्षेत्र है, और वहां नियमों का उल्लंघन किया गया।
झारखंड हाई कोर्ट का फैसला
इससे पहले, झारखंड हाई कोर्ट ने इस मामले में दुबे और तिवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था। इसके खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि एफआईआर बहाल करने का कोई आधार नहीं है। हालांकि, विमानन अधिनियम के तहत मामले की जांच की संभावना को खुला रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को मामले की समीक्षा के लिए अधिकृत अधिकारी के पास सामग्री भेजने का निर्देश दिया।
निष्कर्ष
देवघर एटीसी मामला अब विमानन अधिनियम के तहत आगे की जांच के लिए खुला रहेगा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कानूनी प्रक्रिया और अधिकार क्षेत्र के महत्व को दर्शाता है। झारखंड सरकार को अब यह तय करना होगा कि वह इस मामले को आगे कैसे ले जाना चाहती है।