ऊंट के दूध उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बीकानेर में आयोजित हुआ कार्यशाला: अंतर्राष्ट्रीय ऊंट वर्ष 2024 का हिस्सा
संयुक्त राष्ट्र ने 2024 को अंतर्राष्ट्रीय ऊंट वर्ष के रूप में घोषित किया है। इसी के अंतर्गत, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) ने संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और ICAR-नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन कैमेल (NRCC) के साथ मिलकर “ऊंट दूध मूल्य श्रृंखला को सुदृढ़ करना” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 20 दिसंबर 2024 को बीकानेर, राजस्थान में किया।
कार्यशाला का उद्देश्य और मुख्य बिंदु
इस कार्यशाला का उद्देश्य ऊंट दूध मूल्य श्रृंखला को मजबूत करना और इसके पोषण और औषधीय गुणों पर ध्यान केंद्रित करना था। इसमें राजस्थान और गुजरात के ऊंट पालकों, सरकारी अधिकारियों, सामाजिक संगठनों, वैज्ञानिकों, और डेयरी उद्योग के प्रतिनिधियों सहित 150 से अधिक लोगों ने भाग लिया। कार्यशाला में निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर चर्चा की गई:
1. ऊंट की घटती संख्या पर चिंता
DAHD की सचिव अल्का उपाध्याय ने ऊंटों की घटती संख्या पर गंभीर चिंता व्यक्त की और इसे रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत स्थायी चारागाह भूमि सुनिश्चित करने और ऊंट पालकों को सहयोग देने की बात कही।
2. ऊंट दूध का आर्थिक और औषधीय महत्व
पशुपालन आयुक्त डॉ. अभिजीत मित्रा ने ऊंट दूध के औषधीय गुणों और पोषण मूल्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने ऊंट प्रजनन फार्म और प्रजनक समाजों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
3. ऊंट पालकों के लिए समर्थन और समाधान
कार्यशाला में उपस्थित उद्यमियों ने सरकार से दूध प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग की मांग की। इसके अलावा, ऊंटों के संरक्षण, प्रजनन, दूध उत्पादन और मूल्य वर्धित उत्पादों के विकास के लिए कदम उठाने पर सहमति बनी।
4. ऊंट दूध उद्योग के विकास के लिए रोडमैप
कार्यशाला में ऊंट दूध के मूल्य वर्धन, कीमत निर्धारण और बाजार में संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई। साथ ही, ऊंट दूध की औषधीय उपयोगिता पर अनुसंधान को बढ़ावा देने और ऊंट पालकों की आय बढ़ाने के उपायों पर विचार किया गया।
राजस्थान की भूमिका और सरकार की पहल
राजस्थान के पशुपालन सचिव डॉ. समित शर्मा ने ऊंटों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पशु मेलों और ऊंट प्रतियोगिताओं को बढ़ावा देने के साथ-साथ इको-टूरिज्म और ऊंट आधारित उत्पादों को विकसित करने की बात कही।
ऊंट: रेगिस्तान के नायक
यह कार्यशाला अंतर्राष्ट्रीय ऊंट वर्ष 2024 के अंतर्गत “रेगिस्तान और ऊंचे क्षेत्रों के नायक: पोषण और संस्कृति के संवाहक” थीम पर केंद्रित थी। इसका उद्देश्य ऊंटों के महत्व को पहचानना और उन्हें संरक्षित करते हुए सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करना है।
निष्कर्ष
यह कार्यशाला ऊंट दूध उद्योग के विकास और ऊंटों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल ऊंट पालकों की आजीविका मजबूत होगी, बल्कि ऊंट दूध के पोषण और औषधीय गुणों का व्यापक प्रसार भी होगा। सरकार, वैज्ञानिक समुदाय और उद्यमियों के सहयोग से ऊंट दूध उद्योग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की उम्मीद है।