मोदी सरकार की पेंशनभोगियों के प्रति प्रतिबद्धता: पेंशन अदालतों से सुगम समाधान
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भारत सरकार पेंशनभोगियों की समस्याओं के त्वरित समाधान और उनके जीवन को सरल बनाने के लिए लगातार सुधार कर रही है। हाल ही में, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 12वीं पेंशन अदालत का शुभारंभ किया, जो सरकार की मानवीय और नागरिक-केंद्रित प्रशासनिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
पेंशन अदालतों की सफलता और समाधान दर
पेंशन अदालतों की शुरुआत वर्ष 2017 में की गई थी, और तब से लेकर अब तक 12 सत्रों में 25,416 मामलों में से 18,157 मामलों का समाधान किया जा चुका है। यह पहल पेंशनभोगियों को नौकरशाही की जटिलताओं और अनावश्यक विलंब से बचाने में सहायक रही है।
12वीं पेंशन अदालत में कुल 192 मामलों का समाधान किया गया, जिनमें से 151 मामलों को मौके पर ही सुलझा लिया गया। यह दर्शाता है कि सरकार न केवल लंबित मामलों को तेजी से निपटा रही है, बल्कि पेंशनभोगियों को न्याय भी समय पर प्रदान कर रही है।
पेंशनभोगियों को मिली राहत: महत्वपूर्ण मामले
- डॉ. अरविंद कुमार का मामला:
- देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी के सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अरविंद कुमार को प्रशासनिक देरी के कारण अवकाश नकदीकरण (लीव एनकैशमेंट) से वंचित कर दिया गया था।
- वह प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित थे और उन्हें तत्काल धन की आवश्यकता थी।
- उन्होंने CPENGRAMS पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई, जिसे पेंशन अदालत में सुना गया और 26.75 लाख रुपये की राशि तुरंत जारी की गई।
- सुश्री अनीता कनिक रानी का मामला:
- वह 20 वर्षों से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के विवाद के कारण पारिवारिक पेंशन से वंचित थीं।
- पेंशन अदालत के हस्तक्षेप से 22 लाख रुपये की बकाया राशि मंजूर की गई, जिससे उन्हें अत्यंत आवश्यक वित्तीय राहत मिली।
- सुश्री निर्मला देवी का मामला:
- उनकी पेंशन 2016 से सातवें वेतन आयोग के अनुसार संशोधित नहीं की गई थी।
- पेंशन अदालत में उनकी शिकायत का समाधान हुआ और संशोधित पीपीओ (पेंशन भुगतान आदेश) जारी किया गया।
- सुश्री गीता देवी का मामला:
- वह बीएसएफ के एक शहीद जवान की माँ हैं और पिछले 19 वर्षों से असाधारण पारिवारिक पेंशन के बजाय सामान्य पारिवारिक पेंशन प्राप्त कर रही थीं।
- पेंशन अदालत ने उन्हें उनके अधिकार अनुसार असाधारण पारिवारिक पेंशन दिलाने में सहायता की।
सरकार की डिजिटल पहल: पेंशन सुधार में नया आयाम
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि पेंशन सुधार केवल वित्तीय निपटान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह प्रशासनिक प्रणाली में विश्वास बहाल करने का प्रयास भी है।
सरकार डिजिटल सुधारों के माध्यम से पेंशन प्रक्रियाओं को सरल बना रही है, जिसमें डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (Digital Life Certificate) के लिए चेहरे का प्रमाणीकरण (Face Authentication) शामिल है। इससे पेंशनभोगियों को भौतिक रूप से कार्यालयों में जाने की आवश्यकता समाप्त हो गई है।
पेंशनभोगी केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि राष्ट्र की संपत्ति हैं
केंद्रीय मंत्री ने जोर दिया कि बढ़ती जीवन प्रत्याशा के कारण पेंशनभोगियों को आश्रित नहीं, बल्कि राष्ट्र की संपत्ति के रूप में देखा जाना चाहिए। सरकार उनकी वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ समाज में उनकी निरंतर भूमिका को भी मान्यता दे रही है।
सरकार की पारदर्शी और कुशल पेंशन नीति
पेंशन अदालतों की सफलता यह दर्शाती है कि सरकार की पेंशन नीति पारदर्शिता, दक्षता और नागरिक कल्याण पर केंद्रित है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के सचिव श्री वी. श्रीनिवास और उनकी टीम की सराहना की, जिन्होंने लंबे समय से लंबित पेंशन मामलों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
निष्कर्ष
मोदी सरकार ने पेंशनभोगियों के अधिकारों की रक्षा और उनके जीवन को सरल बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। पेंशन अदालतों के माध्यम से तेजी से शिकायत निवारण संभव हुआ है, जिससे वरिष्ठ नागरिकों को सम्मान, आर्थिक स्थिरता और प्रशासनिक सहूलियत प्राप्त हुई है।
सरकार की यह पहल एक ऐसे शासन मॉडल की दिशा में बढ़ रही है जो मानवीय, उत्तरदायी और पारदर्शी है। पेंशनभोगी केवल सरकार की योजनाओं के लाभार्थी नहीं, बल्कि वे राष्ट्र की संपत्ति हैं, और उनकी गरिमा बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता बनी हुई है।