स्वामी रामकृष्ण परमहंस जयंती पर प्रधानमंत्री की श्रद्धांजलि
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नई दिल्ली, 18 फरवरी 2025: भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक संदेश साझा करते हुए कहा,
“सभी देशवासियों की ओर से स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन।”
स्वामी रामकृष्ण परमहंस भारतीय आध्यात्मिक परंपरा के एक महत्वपूर्ण संत थे, जिन्होंने धार्मिक एकता, साधना, और ईश्वर-प्रेम का संदेश दिया। उनके विचारों और शिक्षाओं ने न केवल उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद को प्रेरित किया, बल्कि पूरे विश्व में भारतीय आध्यात्मिकता को एक नई पहचान दी।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जीवन और योगदान
स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को बंगाल के कामारपुकुर गाँव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था। बचपन से ही वे ईश्वर-भक्ति और आध्यात्मिक साधना की ओर आकर्षित थे। दक्षिणेश्वर काली मंदिर में पुजारी के रूप में सेवा करते हुए, उन्होंने विभिन्न धार्मिक पद्धतियों को अपनाकर यह सिद्ध किया कि सभी धर्म एक ही ईश्वर की ओर ले जाते हैं।
प्रधानमंत्री द्वारा श्रद्धांजलि का महत्व
प्रधानमंत्री द्वारा स्वामी रामकृष्ण परमहंस को श्रद्धांजलि देना न केवल उनकी शिक्षाओं की महत्ता को रेखांकित करता है, बल्कि भारतीय समाज में उनकी प्रासंगिकता को भी दर्शाता है। स्वामी जी ने जाति, धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठकर मानवता और प्रेम का संदेश दिया था। प्रधानमंत्री मोदी अक्सर भारतीय संतों और महापुरुषों के विचारों को राष्ट्र-निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण मानते हैं।
आधुनिक समाज में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएँ
आज के समय में, जब समाज विभिन्न मतभेदों और संघर्षों से गुजर रहा है, स्वामी रामकृष्ण परमहंस का संदेश और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने सिखाया कि ईश्वर-प्राप्ति के लिए कोई एक विशेष मार्ग आवश्यक नहीं है, बल्कि सभी धर्मों का मूल उद्देश्य एक ही है—मानवता की सेवा और आत्मा की उन्नति।
सरकार द्वारा स्वामी रामकृष्ण परमहंस की विरासत को संरक्षित करने के प्रयास
भारत सरकार विभिन्न माध्यमों से स्वामी रामकृष्ण परमहंस की विरासत को संरक्षित और प्रचारित कर रही है। उनके नाम पर कई संस्थान, आश्रम और अनुसंधान केंद्र स्थापित किए गए हैं। प्रधानमंत्री द्वारा उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करना, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर को सहेजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
निष्कर्ष
स्वामी रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएँ न केवल आध्यात्मिक उत्थान के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे समाज में समरसता और शांति स्थापित करने में भी सहायक हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की यह श्रद्धांजलि हमें उनके विचारों को आत्मसात करने और अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा देती है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस की जयंती पर समस्त राष्ट्र उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित करता है और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेता है।