नवम्बर 22, 2024

मुजफ्फरनगर: सबसे प्रदूषित शहर घोषित

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सांकेतिक तस्वीर

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर को देश का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है, जहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 346 के स्तर तक पहुंच गया है। यह स्थिति लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि इतनी उच्च AQI वाली हवा को सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। इसके साथ ही, हापुड़ भी दूसरे स्थान पर रहा, जहां AQI 297 रिकॉर्ड किया गया। इसके विपरीत, गाजियाबाद और मेरठ में हवा की गुणवत्ता अपेक्षाकृत बेहतर रही, गाजियाबाद का AQI 200 और नोएडा का AQI 162 दर्ज किया गया। वहीं, मेरठ का AQI 160 रहा।

प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास

आगरा नगर निगम ने प्रदूषण को कम करने और धूल के कणों को हवा में उड़ने से रोकने के लिए विभिन्न उपाय अपनाए हैं। नगर निगम ने शहर की सड़कों पर पानी का छिड़काव शुरू किया है। स्प्रिंगलर सिस्टम के माध्यम से सड़कों और पौधों पर पानी की बौछारें मारी जा रही हैं। हाल ही में यहां का AQI 149 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों का संकेत है। नगर निगम के SFI संजीव यादव ने बताया कि 8 मैकेनिकल स्वीपिंग और वाटर स्प्रिंगलर मशीनों की सहायता से सड़कों और डिवाइडरों की सफाई की जा रही है। इसके साथ ही, धुलाई भी सुबह और शाम को कराई जा रही है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

खराब हवा का प्रभाव केवल वायु गुणवत्ता तक सीमित नहीं है; यह बच्चों के मस्तिष्क विकास पर भी नकारात्मक असर डालता है। हाल के अध्ययन बताते हैं कि प्रदूषण प्रेग्नेंट महिलाओं के पेट में पल रहे बच्चों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इससे नाक, गले, श्वास नली, फेफड़ों, त्वचा और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त, यह डायबिटीज, अल्जाइमर, और लगातार सिरदर्द का कारण भी बन सकता है। खासकर, छोटे बच्चों के लिए, अधिक AQI वाली हवा में रहना उनके मानसिक विकास को बाधित कर सकता है, जिससे उनकी मानसिक क्षमता में कमी आ सकती है।

सुरक्षात्मक उपाय

इस स्थिति से बचने के लिए, नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे मास्क पहनकर बाहर निकलें और अगर आवश्यक न हो तो घर से बाहर अधिक समय न बिताएं। विशेष रूप से, खुली जगहों पर रनिंग या एक्सरसाइज जैसे मेहनती काम करने से बचना चाहिए।

निष्कर्ष

मुजफ्फरनगर की प्रदूषण की बढ़ती समस्या न केवल स्थानीय निवासियों के लिए चुनौती है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक चेतावनी भी है। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी स्तरों पर प्रयासों की आवश्यकता है। सरकारी और स्थानीय निकायों को चाहिए कि वे प्रदूषण की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि लोगों को सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जीने का अवसर मिल सके। प्रदूषण के खिलाफ यह लड़ाई केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक को अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सजग रहना होगा।

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