नवम्बर 22, 2024

म्यांमार में विद्रोही ताकतों के बढ़ते दबदबे से चिंतित चीन ने बंद की सीमा

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म्यांमार में चल रहे संघर्ष के बीच चीन ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है, क्योंकि विद्रोही समूहों का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। एक साल पहले, म्यांमार के तीन प्रमुख विद्रोही समूहों के गठबंधन, जिसे ‘थ्री ब्रदरहुड एलायंस’ के नाम से जाना जाता है, ने म्यांमार-चीन सीमा के पास का एक बड़ा इलाका कब्जे में ले लिया था। उस समय चीन ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन अब स्थिति में आए बदलाव ने उसे सतर्क कर दिया है।

यह विद्रोही गठबंधन म्यांमार की सैन्य सरकार के खिलाफ लगातार संघर्षरत है, जिसने सेना को महत्वपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्रों से बाहर कर दिया है और अन्य विवादित इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। विद्रोही अब मांडले जैसे रणनीतिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण शहर पर भी कब्जा जमाने की ओर बढ़ रहे हैं। इस बढ़ते विद्रोही प्रभाव के चलते चीन ने अपनी सीमा को सील कर दिया है और विद्रोहियों के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में प्रमुख आयातों पर रोक लगा दी है। इस कदम की पुष्टि एक विद्रोही नेता और सीमा क्षेत्र के निवासियों ने की है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह कदम विद्रोहियों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए उठाया गया है।

पहले चीन ने इस गठबंधन को सीमा पर बढ़ते अपराध को नियंत्रित करने के उद्देश्य से समर्थन दिया था, लेकिन अब वह म्यांमार में बिगड़ती स्थिति और सेना की कमजोर होती स्थिति को लेकर चिंतित है। चीन म्यांमार की सेना को क्षेत्रीय स्थिरता का एक स्तंभ मानता है, और उसका मानना है कि सेना का प्रभाव कम होने से स्थिति अस्थिर हो सकती है। इसके अलावा, विद्रोही गठबंधन का समर्थन करने वाले कुछ अन्य विद्रोही समूहों का प्रभाव भी बढ़ रहा है, जिनका संबंध अमेरिका समर्थित समानांतर नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (NUG) से है। यह कड़ी चीन के लिए और भी चिंता का कारण बनी हुई है, क्योंकि यह समूह पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त कर रहा है।

चीन की यह सीमा बंदी विद्रोहियों को आगे बढ़ने से रोकने का एक प्रयास माना जा रहा है, लेकिन इसने चीन के लिए नई चुनौतियाँ भी खड़ी कर दी हैं। म्यांमार में सेना की घटती ताकत के साथ, चीन को अब एक संतुलित कूटनीति अपनानी होगी ताकि वह क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रख सके और NUG से जुड़े समूहों का प्रभाव सीमित कर सके। आने वाले समय में यह संकट चीन की दक्षिण-पूर्व एशिया में उसकी कूटनीतिक रणनीति की परीक्षा ले सकता है।

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