नवम्बर 21, 2024

भारत और स्वीडन ने लीडआईटी वार्षिक शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता: उद्योगों के निम्न-कार्बन संक्रमण पर जोर

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सांकेतिक तस्वीर

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP29) के अवसर पर अज़रबैजान के बाकू में लीडरशिप ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांजिशन (LeadIT) का वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन की सह-अध्यक्षता भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह और स्वीडन की जलवायु एवं पर्यावरण मंत्री सुश्री रोमीना पौरमोख्तारी ने की।

लीडआईटी शिखर सम्मेलन का उद्देश्य
लीडआईटी का मुख्य उद्देश्य उद्योगों में निम्न-कार्बन संक्रमण को बढ़ावा देना है ताकि पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप भारी उद्योगों को स्थायी रूप से परिवर्तित किया जा सके। इस वर्ष के शिखर सम्मेलन में स्टील और सीमेंट जैसे कठिन-से-परिवर्तित क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।

भारत की प्रतिबद्धता
श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने भारत की ओर से औद्योगिक क्षेत्रों में निम्न-कार्बन संक्रमण को तेज़ करने की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने सार्वजनिक-निजी साझेदारी और उत्तर-दक्षिण सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसे एक समावेशी, न्यायसंगत और सतत प्रक्रिया बनाने का आह्वान किया।

लीडआईटी 2.0 की उपलब्धियां
श्री सिंह ने LeadIT के पहले पांच वर्षों की प्रगति को सराहा और COP28 में शुरू की गई भारत-स्वीडन इंडस्ट्री ट्रांजिशन पार्टनरशिप को अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक आदर्श मॉडल बताया। इस साझेदारी ने प्रौद्योगिकी विकास, ज्ञान साझा करने और स्टील व सीमेंट जैसे उद्योगों को रूपांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

वैश्विक अपील और निष्कर्ष
शिखर सम्मेलन के दौरान विभिन्न देशों और कंपनियों के प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए और औद्योगिक निम्न-कार्बन रणनीतियों पर चर्चा की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष सलाहकार श्री सेल्विन हार्ट ने उद्योगों से जलवायु प्रतिबद्धताओं का समर्थन करने और उनकी आवश्यकताओं पर खुलकर बात करने का आग्रह किया।

सम्मेलन के अंत में वैश्विक समुदाय से निम्न-कार्बन औद्योगिक भविष्य के लिए अपने संकल्प को मजबूत करने का आह्वान किया गया। श्री सिंह ने कहा कि निम्न-कार्बन संक्रमण न केवल जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है, बल्कि यह आर्थिक अवसर, रोजगार और मजबूत समुदाय भी प्रदान करता है।

भारत, अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से औद्योगिक परिवर्तन के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और मानता है कि देशों के संयुक्त प्रयासों से एक सतत और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।

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