नवम्बर 22, 2024

भारत में अंगदान और प्रत्यारोपण के सुधार पर चिंतन शिविर: तकनीक, प्रक्रियाओं और कानूनों में सुधार की दिशा

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भारत में अंगदान और प्रत्यारोपण को लेकर हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का उद्देश्य अंग और ऊतक दान एवं प्रत्यारोपण में सुधार के लिए आवश्यक तकनीकी, प्रक्रियात्मक और कानूनी सुधारों पर विचार-विमर्श करना था। इस महत्वपूर्ण आयोजन का उद्घाटन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव, श्रीमती एल. एस. चांगसान ने किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) अतुल गोयल, राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के निदेशक डॉ. अनिल कुमार, और संयुक्त सचिव श्रीमती वंदना जैन सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अंगदान को जीवन का हिस्सा बनाना

अपने उद्घाटन भाषण में श्रीमती चांगसान ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि अंगदान को हमारे जीवन का हिस्सा बनाना आवश्यक है ताकि अंग विफलता से पीड़ित लोगों को नया जीवन मिल सके। उन्होंने यह भी बताया कि एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद अंगदान से आठ तक मरीजों को नया जीवन मिल सकता है। उन्होंने अंगदान की बढ़ती आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि देश में मृत व्यक्तियों से अंगदान को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।

“एक देश, एक नीति” का उद्देश्य

सरकार का मुख्य ध्यान अंग प्रत्यारोपण के लिए बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षित मानव संसाधनों की उपलब्धता को बढ़ाने पर है, विशेषकर सरकारी संस्थानों में। इसके साथ ही, उन्होंने अंगदान जागरूकता अभियान “अंगदान जन जागरूकता अभियान” की भी जानकारी दी, जो विभिन्न राज्यों और संस्थानों में सक्रिय रूप से चल रहा है।

NOTTO की भूमिका और चिंतन शिविर का महत्व

स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक, प्रो. (डॉ.) अतुल गोयल ने कहा कि NOTTO ने भारत में अंग और ऊतक प्रत्यारोपण के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने इस चिंतन शिविर को आत्मनिरीक्षण का एक अवसर बताया, जिसके माध्यम से अंगदान और प्रत्यारोपण की प्रणाली को और अधिक सुदृढ़ किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में उदारता की परंपरा रही है, लेकिन अब समय आ गया है कि हम जीवित दान के साथ-साथ मृत व्यक्ति के अंगदान को भी बढ़ावा दें, चाहे वह सरकारी हो या निजी अस्पताल।

चिंतन शिविर के उद्देश्य और भविष्य की योजनाएं

इस चिंतन शिविर के दौरान दस महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी, जिसमें अंगदान और प्रत्यारोपण में सुधार, नई तकनीकों का उपयोग, कानूनी सुधार, पारदर्शिता और सस्ती एवं समान रूप से अंग प्रत्यारोपण को सुनिश्चित करना शामिल है। राज्यों, एनजीओ, अंग प्रत्यारोपण समाजों, और विभिन्न सरकारी एवं निजी संस्थानों के विशेषज्ञ इस शिविर में भाग लेंगे।

पृष्ठभूमि: राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम

भारत सरकार राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम का क्रियान्वयन कर रही है, जिसका उद्देश्य मृत व्यक्तियों से अंगदान को बढ़ावा देना है, ताकि अंग विफलता से पीड़ित लोगों के लिए अधिक अंग उपलब्ध हो सकें। इसके तहत सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली में एक शीर्ष स्तर का संगठन “राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन” (NOTTO) स्थापित किया गया है। इसके साथ ही, देश भर में प्रत्यारोपण और पुनर्प्राप्ति अस्पतालों एवं ऊतक बैंकों का एक नेटवर्क तैयार किया गया है।

भविष्य की दिशा

चिंतन शिविर के माध्यम से प्राप्त सुझावों और सिफारिशों के आधार पर, सरकार अंगदान और प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित, सुलभ, और पारदर्शी बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगी। अंगदान के प्रति जनजागरूकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ, इस क्षेत्र में कानूनी सुधार और तकनीकी उन्नति भी आवश्यक है, ताकि अंग विफलता से जूझ रहे लोगों को नया जीवन मिल सके।

इस प्रकार, यह चिंतन शिविर भारत में अंगदान और प्रत्यारोपण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, जो न केवल अंगदान की प्रक्रिया को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि लाखों जिंदगियों को भी बचाने में योगदान देगा।

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