अप्रैल 27, 2025

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: जेलों में जाति-आधारित कार्य विभाजन अनुचित, अनुच्छेद 15 का स्पष्ट उल्लंघन

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नई दिल्ली,

जेलों में जाति के आधार पर काम बांटने को लेकर उठाए गए गंभीर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना अहम फैसला सुनाया। जनहित याचिका में यह तर्क दिया गया था कि भारत की कई जेलों में कैदियों को जाति के अनुसार कार्य सौंपे जा रहे हैं, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट कहा कि जेल मैनुअल में जाति-आधारित कार्य विभाजन, जिसमें निचली जाति के लोगों को सफाई और झाड़ू जैसे काम दिए जाते हैं, जबकि उच्च जातियों के कैदियों को खाना पकाने का जिम्मा सौंपा जाता है, यह भेदभावपूर्ण है। अदालत ने इसे संविधान के अनुच्छेद 15 के खिलाफ माना, जो जाति, धर्म, लिंग, नस्ल या जन्मस्थान के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकता है।

अदालत ने यह भी कहा कि किसी व्यक्ति की जाति के आधार पर उसे निम्न या ऊँच कार्य सौंपना न केवल सामाजिक न्याय के मूल्यों का अपमान है, बल्कि कैदियों के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है। इस संदर्भ में, न्यायालय ने सरकार और जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वे सभी प्रकार के जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करें और कैदियों को बिना किसी भेदभाव के कार्य सौंपे जाएं।

इस फैसले को सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। न्यायालय ने यह भी कहा कि जेलों को सुधार गृह के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि ऐसी जगह जहां भेदभाव और अन्याय को बढ़ावा दिया जाए। कोर्ट ने जेल मैनुअल की समीक्षा कर उसमें आवश्यक बदलाव करने का भी निर्देश दिया है ताकि भविष्य में इस तरह के भेदभावपूर्ण प्रथाओं पर रोक लग सके।

कानूनी विशेषज्ञों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस फैसले की सराहना की है। उनके अनुसार, यह निर्णय भारतीय जेल व्यवस्था में सुधार लाने और जातिगत भेदभाव को खत्म करने में मील का पत्थर साबित होगा।

(रिपोर्ट: HIT AND HOT NEWS टीम)

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