भारत की शेयर बाजार में उछाल: निजी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 6.4 गुना बढ़ा और सरकारी कंपनियाँ भी तेजी से आगे बढ़ीं
पिछले एक दशक में भारतीय शेयर बाजार ने अद्वितीय वृद्धि दर्ज की है। मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान निजी सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 6.4 गुना बढ़कर 384 ट्रिलियन रुपये तक पहुँच गया है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSUs) का बाजार पूंजीकरण भी पांच गुना बढ़कर 72 ट्रिलियन रुपये हो गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने बीते दस वर्षों में वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ते इक्विटी बाजारों में अपनी पहचान बनाई है। यह उल्लेखनीय वृद्धि मुख्य रूप से बड़ी कंपनियों के विस्तार और छोटे उद्यमों व उभरते उद्योगों की बढ़ती भागीदारी के कारण हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार का यह विस्तार विभिन्न क्षेत्रों में नए इश्यू और प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्तावों (IPOs) की बढ़ती संख्या के चलते संभव हुआ है। इससे न केवल शेयर बाजार का स्वरूप व्यापक हुआ है, बल्कि एक संतुलित और मजबूत बाजार संरचना भी उभरी है। छोटे और नए क्षेत्र की कंपनियों ने इस आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे भारतीय बाजार और अधिक विविधतापूर्ण बन गया है।
इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि “कॉर्पोरेट इंडिया की मजबूत बैलेंस शीट और सतत लाभकारी वृद्धि की संभावनाओं को देखते हुए भारतीय शेयर बाजार लंबी अवधि में स्वस्थ चक्रवृद्धि प्रदान करेगा।”
रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक और टीसीएस जैसी प्रमुख भारतीय कंपनियाँ भी वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी हैं। इस तीव्र विकास से भारत का शेयर बाजार न केवल निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बना है, बल्कि देश के समग्र आर्थिक विकास में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।