राजनाथ सिंह ने हैदराबाद के कोटि दीपोत्सवम में दी एकता का संदेश, भारतीय संस्कृति के महत्व पर जोर
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को हैदराबाद में आयोजित ‘कोटि दीपोत्सवम’ कार्यक्रम में भाग लेते हुए समाज में एकता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब भी हमारी एकता कमजोर हुई है, आक्रमणकारियों ने हमारी सभ्यता और संस्कृति को नष्ट करने की पूरी कोशिश की है। उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि ना बटना है, ना बंटाना है ।
एकता का संदेश
कार्यक्रम के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, “ऐसे आयोजन हमें एकता का महत्व सिखाते हैं और कई संदेश देते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण संदेश है एकता का। जब कोई व्यक्ति अकेले प्रयास करता है, तो उसका प्रभाव सीमित होता है। लेकिन जब लोग मिलकर प्रयास करते हैं, तो उसका असर दुनिया भर में फैलता है।” उन्होंने दीपों के माध्यम से यह संदेश दिया कि समाज की ताकत उसकी एकता में है। उन्होंने कहा, “यदि हम एकजुट रहते हैं, तो हमारे प्रयास दीपों की तरह पूरी दुनिया में रोशनी फैलाएंगे।”
भारतीय संस्कृति की महत्ता
राजनाथ सिंह ने भारतीय संस्कृति की प्राचीनता और इसकी पहचान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भारत केवल एक राजनीतिक इकाई नहीं है, बल्कि यह हजारों वर्षों पुरानी सांस्कृतिक पहचान है, जिसके कारण यह पूरी दुनिया में सम्मान प्राप्त करता है। एक देश केवल भौगोलिक सीमाओं से नहीं बनता, बल्कि इसकी आत्मा उसकी संस्कृति में बसती है।”
एकजुट समाज की ताकत
उन्होंने यह भी बताया कि एकजुट समाज कभी कमजोर नहीं होता। राजनाथ सिंह ने कहा, “जो समाज अपनी एकता खो देता है, वह कमजोर हो जाता है। एकता हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, और इसे बनाए रखना आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यदि हम एकजुट रहेंगे, तो हम आने वाली सभी चुनौतियों का सामना कर पाएंगे।”
दीपोत्सव का महत्व
‘कोटि दीपोत्सवम’ जैसे आयोजनों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि ये न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हैं, बल्कि हमें एकता और भाईचारे का पाठ भी पढ़ाते हैं। ऐसे आयोजन भारतीय संस्कृति की गहराई और इसके मूल्यों को समझने का अवसर प्रदान करते हैं।
राजनाथ सिंह के इस संदेश ने समाज में एकजुटता और भारतीय संस्कृति की रक्षा के प्रति नई ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने समाज को एकजुट होकर काम करने और भारतीय मूल्यों को बनाए रखने की प्रेरणा दी। इस प्रकार, कोटि दीपोत्सवम न केवल एक धार्मिक कार्यक्रम था, बल्कि समाज को एकजुटता और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी साबित हुआ।