प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को करेंगे चौथे राष्ट्रीय मुख्य सचिव सम्मेलन के समापन सत्र की अध्यक्षता
नई दिल्ली में चल रहे तीन दिवसीय चौथे राष्ट्रीय मुख्य सचिव सम्मेलन का समापन 15 दिसंबर 2024 को होगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समापन सत्र की अध्यक्षता करेंगे। सम्मेलन का आयोजन 13 से 15 दिसंबर तक किया गया, जिसमें राज्यों और केंद्र सरकार के बीच एक साझेदाराना विकास एजेंडा तैयार करने और समन्वित कार्रवाई के लिए एक ब्लूप्रिंट विकसित करने पर जोर दिया गया।
सम्मेलन का उद्देश्य
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, यह सम्मेलन केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझेदारी को और मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका उद्देश्य भारत की जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग करते हुए उद्यमशीलता को बढ़ावा देना, कौशल विकास पहलों को प्रोत्साहित करना और ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए टिकाऊ रोजगार के अवसर पैदा करना है।
मुख्य विषय और चर्चा के बिंदु
इस वर्ष सम्मेलन का मुख्य विषय ‘उद्यमशीलता, रोजगार और कौशल विकास को बढ़ावा देना – जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाना’ है। इस विषय के तहत केंद्र और राज्य सरकारों, नीति आयोग और विशेषज्ञों के बीच गहन विचार-विमर्श हुआ।
विज्ञप्ति के अनुसार, सम्मेलन में छह प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा:
1. निर्माण क्षेत्र
2. सेवा क्षेत्र
3. ग्रामीण गैर-कृषि क्षेत्र
4. शहरी रोजगार
5. कौशल विकास
6. स्थायी विकास
राज्यों के लिए रणनीति और सर्वोत्तम प्रथाएं
सम्मेलन के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उन सर्वोत्तम प्रथाओं और रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने का अवसर मिलेगा, जिन्हें अपनाकर वे रोजगार सृजन और उद्यमिता को बढ़ावा दे सकते हैं।
जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग
भारत, जो अपनी विशाल युवा जनसंख्या के लिए जाना जाता है, के लिए यह सम्मेलन जनसांख्यिकीय लाभांश को उपयोगी संसाधन में बदलने की दिशा में एक ठोस कदम है। इस पहल के तहत, कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को उद्योगों के लिए तैयार करना और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करना प्राथमिकता में शामिल है।
समापन सत्र का महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में समापन सत्र में इन सभी चर्चाओं का सार प्रस्तुत किया जाएगा और एक ठोस कार्ययोजना तैयार की जाएगी। यह कार्ययोजना राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय स्थापित करने के साथ-साथ रोजगार, उद्यमिता और कौशल विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।
निष्कर्ष
यह सम्मेलन भारत के विकास पथ को नई दिशा देने और केंद्र-राज्य साझेदारी को मजबूत करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसका प्रभाव न केवल नीति निर्माण में बल्कि जनसामान्य के जीवन स्तर को सुधारने में भी देखने को मिलेगा।