विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2025: उपभोक्ता संरक्षण में नई पहल और विकास

परिचय
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस हर साल 15 मार्च को मनाया जाता है, जो उपभोक्ताओं के अधिकारों और उनके संरक्षण की महत्ता को उजागर करने का अवसर प्रदान करता है। यह दिवस पहली बार 1983 में मनाया गया था और इसकी तिथि 15 मार्च, 1962 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा उपभोक्ता अधिकारों को औपचारिक रूप से मान्यता देने के ऐतिहासिक संबोधन की स्मृति में चुनी गई थी।
वर्ष 2025 का विषय है “स्थायी जीवनशैली के लिए एक उचित बदलाव”, जो सतत उपभोग, पर्यावरणीय जागरूकता और सभी के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है। इस वर्ष का अभियान उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने और उनके अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न सरकारी नीतियों और पहलों को उजागर करता है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019
उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और बाज़ार में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को निरस्त कर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 लागू किया गया। यह अधिनियम उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए तीन स्तरीय अर्ध-न्यायिक तंत्र (जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर) प्रदान करता है, जिसे उपभोक्ता आयोग कहा जाता है।
इस अधिनियम के तहत:
- शिकायतों का त्वरित निपटारा सुनिश्चित किया गया है।
- यदि परीक्षण की आवश्यकता नहीं है, तो शिकायत तीन महीने में निपटाई जाएगी।
- यदि वस्तु का परीक्षण आवश्यक है, तो शिकायत पाँच महीने में सुलझाई जाएगी।
- अधिनियम के तहत उचित मुआवजा और राहत प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
उपभोक्ता कल्याण कोष
भारत सरकार उपभोक्ताओं के अधिकारों को मजबूत करने के लिए उपभोक्ता कल्याण कोष (Consumer Welfare Fund – CWF) संचालित कर रही है। इसके तहत:
- 2024-25 में विभिन्न राज्यों को 32.68 करोड़ रुपये जारी किए गए।
- 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में से 24 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश ने इस कोष की स्थापना कर ली है।
- इस कोष का उपयोग उपभोक्ता संरक्षण जागरूकता कार्यक्रमों और शिकायत निवारण प्रणाली को मजबूत करने में किया जाता है।
डिजिटल उपभोक्ता संरक्षण और शिकायत निवारण तंत्र
1. ई-दाखिल पोर्टल
ई-दाखिल एक ऑनलाइन उपभोक्ता शिकायत पोर्टल है, जिसे 7 सितंबर 2020 को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) द्वारा लॉन्च किया गया था।
- यह एक तेज़, सुलभ और किफायती समाधान प्रदान करता है।
- उपभोक्ता घर बैठे ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
- यह प्रक्रिया कागज़ रहित और पारदर्शी बनाता है।
2. ई-जागृति पोर्टल
ई-दाखिल के बाद सरकार ने ई-जागृति पोर्टल भी लॉन्च किया, जो:
- केस फाइलिंग, ट्रैकिंग और प्रबंधन को सुव्यवस्थित करता है।
- विवादों को तेज़ी से हल करने में मदद करता है।
- स्वचालित और डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से देरी को कम करता है।
3. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच)
एनसीएच 1915 टोल-फ्री नंबर के माध्यम से उपभोक्ताओं को शिकायत दर्ज करने की सुविधा देता है।
- यह 17 भाषाओं में उपलब्ध है।
- इसमें एआई-आधारित चैटबॉट और स्पीच रिकॉग्निशन जैसी तकनीक शामिल की गई है।
- दिसंबर 2015 में 12,553 कॉल प्रति माह से बढ़कर दिसंबर 2024 में 1,55,138 कॉल प्रति माह हो गए हैं।
- 1000 से अधिक कंपनियों के साथ कन्वर्जेंस प्रोग्राम के तहत साझेदारी की गई है।
ई-कॉमर्स और डिजिटल लेनदेन में उपभोक्ता संरक्षण
1. नए ई-कॉमर्स दिशानिर्देश
सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 लागू किए, जिनमें:
- ई-कॉमर्स कंपनियों की जवाबदेही तय की गई।
- अनुचित व्यापार प्रथाओं पर रोक लगाई गई।
- कंपनियों के लिए ग्राहक शिकायत निवारण प्रणाली अनिवार्य की गई।
2. डार्क पैटर्न दिशानिर्देश, 2023
30 नवंबर 2023 को डार्क पैटर्न रोकथाम दिशानिर्देश जारी किए गए, जिनमें:
- 13 प्रकार के भ्रामक व्यापारिक तरीकों पर रोक लगाई गई।
- उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया गया।
3. ई-कॉमर्स के लिए बीआईएस मानक
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने “ई-कॉमर्स – स्व-शासन के लिए सिद्धांत और दिशानिर्देश” जारी किए, जिनमें:
- पारदर्शिता और उपभोक्ता-अनुकूल नीतियाँ लागू करने का लक्ष्य रखा गया।
- मूल देश, मूल्य निर्धारण और डेटा गोपनीयता जैसे विवरण स्पष्ट रूप से बताने का नियम लागू किया गया।
- भ्रामक मूल्य निर्धारण और छिपे हुए शुल्क को प्रतिबंधित किया गया।
“जागो ग्राहक जागो” अभियान
सरकार उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए “जागो ग्राहक जागो” अभियान चला रही है।
- जागो ग्राहक जागो पोर्टल और मोबाइल ऐप उपभोक्ताओं को ई-कॉमर्स सुरक्षा और सही निर्णय लेने में सहायता प्रदान करते हैं।
- यह असुरक्षित यूआरएल की पहचान करने और सतर्क रहने के लिए चेतावनी देता है।
निष्कर्ष
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2025 के अवसर पर, भारत सरकार ने उपभोक्ता सुरक्षा, डिजिटल अधिकारों, सतत उपभोग और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं। ई-दाखिल, ई-जागृति, एनसीएच, ई-कॉमर्स दिशानिर्देश, डार्क पैटर्न नियम, और उपभोक्ता कल्याण कोष जैसी पहलों के माध्यम से उपभोक्ताओं को सशक्त बनाया जा रहा है।
“सशक्त उपभोक्ता, मजबूत राष्ट्र” की दिशा में भारत सरकार उपभोक्ता अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है, जिससे उपभोक्ताओं को सुरक्षित, पारदर्शी और निष्पक्ष बाज़ार का अनुभव मिल सके।