मार्च 10, 2025

महाशिवरात्रि 2025: तिथि, महत्त्व और पूजा विधि

0

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे भगवान शिव की आराधना के लिए मनाया जाता है। यह दिन शिव भक्तों के लिए विशेष होता है क्योंकि इसे शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक माना जाता है। महाशिवरात्रि 2025 में यह पर्व 26 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं और रात्रि जागरण कर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।


महाशिवरात्रि का महत्त्व

महाशिवरात्रि का धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्त्व है। यह पर्व शिव और पार्वती के विवाह का शुभ अवसर माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था, जिससे यह दिन शिव-शक्ति के मिलन का प्रतीक बन गया।

इस दिन को शिव भक्तों के लिए मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से इस दिन उपवास रखता है और शिव जी की पूजा करता है, उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


महाशिवरात्रि 2025 की पूजा विधि

महाशिवरात्रि की पूजा विशेष विधि से की जाती है। इस दिन चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्त्व होता है। पूजा विधि इस प्रकार है:

  1. स्नान और संकल्प: प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. शिवलिंग अभिषेक: शिवलिंग का जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगा जल से अभिषेक करें।
  3. बिल्व पत्र और पुष्प अर्पण: भगवान शिव को बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़ा और सफेद पुष्प चढ़ाएं।
  4. धूप-दीप प्रज्वलन: धूप, दीप और कर्पूर जलाकर भगवान शिव की आरती करें।
  5. मंत्र जाप:ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।
  6. रात्रि जागरण: इस दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्त्व होता है। चार प्रहर की पूजा के साथ भजन-कीर्तन करें।
  7. दान और पारण: अगले दिन ब्राह्मणों को दान दें और उपवास खोलें।

महाशिवरात्रि व्रत का महत्त्व

महाशिवरात्रि व्रत को सबसे प्रभावशाली व्रतों में से एक माना जाता है। इसे करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत के दौरान भक्त दिनभर उपवास रखते हैं और जल अथवा फलाहार ही ग्रहण करते हैं। कुछ लोग निर्जला व्रत भी रखते हैं, जिसमें दिनभर जल तक ग्रहण नहीं किया जाता।

महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी कष्ट समाप्त होते हैं, उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।


महाशिवरात्रि पर ज्योतिषीय प्रभाव

महाशिवरात्रि का पर्व चंद्रमा और ग्रहों की विशेष स्थिति से भी जुड़ा होता है। इस दिन चंद्रमा भगवान शिव के मस्तक पर सुशोभित रहते हैं, जिससे इसका प्रभाव अत्यधिक शुभकारी होता है।

2025 में महाशिवरात्रि पर विशेष ज्योतिषीय संयोग बनने की संभावना है, जिससे यह दिन अत्यंत शुभ और फलदायी रहेगा। इस दिन शिव की आराधना से सभी प्रकार के ग्रह दोष समाप्त हो सकते हैं और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।


महाशिवरात्रि 2025: विशेष आयोजन

भारत के प्रमुख मंदिरों में इस दिन विशेष आयोजन किए जाते हैं। कुछ प्रसिद्ध मंदिर जहां महाशिवरात्रि का भव्य आयोजन होता है:

  • काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी)
  • महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (उज्जैन)
  • केदारनाथ मंदिर (उत्तराखंड)
  • ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
  • सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

इन मंदिरों में लाखों भक्त भगवान शिव के दर्शन और पूजा के लिए एकत्रित होते हैं।


महाशिवरात्रि पर क्या करें और क्या न करें

करें:

  • शिवलिंग का जल और पंचामृत से अभिषेक करें।
  • ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
  • गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें।
  • रात्रि जागरण करें और शिव की आराधना करें।

न करें:

  • कांटेदार फूल या तुलसी के पत्ते शिवलिंग पर न चढ़ाएं।
  • दूध, जल और अन्य सामग्री को बर्बाद न करें।
  • किसी भी जीव को कष्ट न दें।
  • अहंकार, क्रोध और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

निष्कर्ष

महाशिवरात्रि 2025 एक विशेष आध्यात्मिक अवसर है, जिसमें भगवान शिव की आराधना कर भक्त अपने जीवन को सुख, समृद्धि और शांति से भर सकते हैं। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आत्म-शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का भी एक पवित्र अवसर है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

“हर हर महादेव!”

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

इन्हे भी देखें