बाला फीचर्स से स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की शिक्षा का नया अध्याय
उत्तर प्रदेश में स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल की जा रही है, जिसके तहत प्रदेश के 5436 आंगनबाड़ी केंद्रों में ‘बाला फीचर्स’ को लागू किया जाएगा। राज्य परियोजना निदेशक कार्यालय, समग्र शिक्षा, लखनऊ द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को शिक्षा का एक मजेदार और रचनात्मक स्थान बनाना है।
बाला फीचर्स: क्या है और क्यों जरूरी?
‘बाला’ (Building as Learning Aid) का उद्देश्य स्कूलों और कक्षा-कक्षों को ऐसा रूप देना है, जहां बच्चों को खेल-खेल में सीखने का मौका मिले। इसके अंतर्गत कक्षा के चारों ओर ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि दीवारें, फर्श, खिड़कियां और दरवाजे भी बच्चों की शिक्षा के साधन बन सकें। बाला फीचर्स के माध्यम से विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों को बच्चों के लिए एक सीखने का आकर्षक और जीवंत स्थान बनाया जाएगा, जो उनकी जिज्ञासा और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करेगा।
आंगनबाड़ी केंद्रों में बाला फीचर्स के कार्यान्वयन की प्रक्रिया
5436 परिषदीय प्राथमिक और कम्पोजिट विद्यालयों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में बाला फीचर्स लागू किए जाएंगे। इसके लिए 1359 लाख रुपये की मंजूरी दी गई है। इन केंद्रों को बाला फीचर्स के अनुसार सजाया जाएगा, जिसमें कक्षा के अंदर और बाहर दोनों स्थानों का अधिकतम उपयोग किया जाएगा।
- कक्षा के अंदर की दीवारों का सृजनात्मक उपयोग: कक्षा के चारों ओर की दीवारों पर हरे रंग का पेंट किया जाएगा या श्यामपट्ट लगाए जाएंगे, जिन पर बच्चे खेल-खेल में रेखाएं, आकृतियां और शब्द बनाकर सीख सकें। एक दीवार पर ग्रीन बोर्ड या सफेद बोर्ड लगाया जाएगा, जिसका उपयोग आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों को चित्रों और शब्दों के माध्यम से सिखाने के लिए करेंगी। दूसरी दीवार पर दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं जैसे फल, सब्जियां, टोकरियां आदि के चित्र होंगे, जिनसे बच्चे इन वस्तुओं की पहचान सीख सकेंगे।
- खिड़कियों और दरवाजों का उपयोग: कक्षा की खिड़कियों और दरवाजों का भी उपयोग बच्चों की सूक्ष्म मांसपेशियों के विकास के लिए किया जाएगा। खिड़कियों के लोहे की ग्रिल्स को इस प्रकार बदला जाएगा कि बच्चे उनमें रिंग घुमाकर खेल-खेल में अपनी उंगलियों की मांसपेशियों का विकास कर सकें।
- फर्श पर खेलते हुए सीखना: आंगनबाड़ी केंद्रों की फर्श पर गोल घेरे बनाकर विभिन्न आकार जैसे चौकोर, तिकोना, गोल आदि बनाए जाएंगे। बच्चे इन गोलों के माध्यम से आकार और रेखाओं के बारे में सीख सकेंगे।
बाहरी स्थान का भी होगा उपयोग
बाला फीचर्स के अंतर्गत न केवल कक्षा के अंदर, बल्कि कक्षा के बाहर के स्थान का भी उपयोग बच्चों की शिक्षा के लिए किया जाएगा। बाहरी खुले स्थान पर बच्चों के लिए सैंड बेड बनाया जाएगा, जहां बच्चे बालू या मिट्टी में आकृतियां बना सकेंगे और इससे उनकी कल्पनाशक्ति और रचनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा।
सजावट और शिक्षा का संगम
बाला फीचर्स का मुख्य उद्देश्य यह है कि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उनके आसपास का वातावरण भी सिखाए। कक्षाओं को इस प्रकार सजाया जाएगा कि वह बच्चों के लिए प्रेरणादायक बने और उन्हें अपनी रचनात्मकता व्यक्त करने के अधिक मौके मिलें। बच्चों के बनाए हुए चित्रों और उनके कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए दीवारों पर फ्लैनल बोर्ड लगाए जाएंगे।
शिक्षा में नवाचार की पहल
उत्तर प्रदेश में समग्र शिक्षा अभियान के तहत बाला फीचर्स को लागू करने का उद्देश्य बच्चों की शुरुआती शिक्षा को और मजेदार और सीखने योग्य बनाना है। इस पहल से राज्य के विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के सीखने की क्षमता और उनकी रचनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा।
इस योजना के तहत विकसित होने वाले नवाचार बच्चों के अधिगम लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेंगे और बच्चों को खेल-खेल में सीखने का अवसर प्रदान करेंगे।
बाला फीचर्स की यह पहल न सिर्फ शिक्षा के स्तर को बढ़ाएगी, बल्कि बच्चों के मानसिक विकास और उनकी सोचने-समझने की क्षमताओं में भी सुधार लाएगी। इसके माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात होगा।