सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: पत्रकारों के खिलाफ केवल सरकार की आलोचना करने पर नहीं हो सकता क्रिमिनल केस
अनूप सिंह रिपोर्टर चित्रकूट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि किसी पत्रकार के खिलाफ सिर्फ इसलिए क्रिमिनल केस दर्ज नहीं किया जा सकता है क्योंकि उनकी लेखनी में सरकार की आलोचना की गई है। जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएम भाटी की बेंच ने अभिव्यक्ति की आजादी को एक महत्वपूर्ण अधिकार मानते हुए कहा कि लोकतांत्रिक देश में इसे सम्मानित किया जाना चाहिए।
यह टिप्पणी तब आई जब एक पत्रकार ने उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज एक केस को खारिज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए मामले में जवाब देने का निर्देश दिया है।
मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद-19 (1)(ए) के तहत पत्रकारों का अधिकार सुरक्षित है, और इस अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए। किसी पत्रकार के खिलाफ केवल इस आधार पर कार्रवाई नहीं की जा सकती कि उन्होंने सरकार की आलोचना की है।
इस मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने ‘सामान्य प्रशासन में जाति विशेष की भागीदारी’ से संबंधित रिपोर्ट के मामले में केस दर्ज किया था। पत्रकार ने इस मामले को खारिज करने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
यह निर्णय पत्रकारिता की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, और यह सरकारों को याद दिलाता है कि आलोचना से लोकतंत्र मजबूत होता है।