नवम्बर 22, 2024

भारत के पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में 2025 तक ₹10 लाख करोड़ का निवेश लक्ष्य: मंत्री हरदीप पुरी

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सांकेतिक तस्वीर

नई दिल्ली: केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इंडिया केम 2024 में भारत के पेट्रोकेमिकल उद्योग की विशाल संभावनाओं पर जोर देते हुए कहा कि भारत जल्द ही रासायनिक उत्पादन का वैश्विक केंद्र बन सकता है। शुक्रवार को आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य 2025 तक पेट्रोलियम, केमिकल्स और पेट्रोकेमिकल्स निवेश क्षेत्रों (PCPIR) नीति के तहत ₹10 लाख करोड़ का निवेश आकर्षित करना है।

मंत्री पुरी ने बताया कि भारतीय रासायनिक और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र का बाजार आकार 2025 तक लगभग 300 अरब डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है, जो वर्तमान में 220 अरब डॉलर का है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि 2040 तक भारत के पेट्रोकेमिकल उद्योग का आकार 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।

भारत का तेजी से बढ़ता पेट्रोकेमिकल उद्योग
श्री पुरी ने उद्योग के नेताओं से बातचीत करते हुए बताया कि भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद यहां की प्रति व्यक्ति रासायनिक खपत विकसित देशों की तुलना में काफी कम है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश और विकास की अपार संभावनाएं हैं। वर्तमान में भारत 25 से 30 मिलियन टन के बीच वार्षिक पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खपत करता है।

पेट्रोलियम और गैस क्षेत्र में भारत की उभरती हुई परिष्करण क्षमता 2028 तक 257 एमएमटीपीए से बढ़कर 310 एमएमटीपीए तक पहुंचने की संभावना है, जिससे इसकी लागत प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी होगी।

सरकारी नीतियों और निवेश की भूमिका
श्री पुरी ने कहा कि ओएनजीसी और बीपीसीएल जैसे सार्वजनिक उपक्रमों के साथ निजी कंपनियां, जैसे हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स, भारतीय पेट्रोकेमिकल उद्योग में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं। वर्तमान में 45 अरब डॉलर के पेट्रोकेमिकल परियोजनाओं पर काम चल रहा है और भविष्य में मांग को पूरा करने के लिए 100 अरब डॉलर तक के निवेश की संभावना है।

उन्होंने यह भी बताया कि PCPIR नीति 2020-35 के तहत 2025 तक 10 लाख करोड़ रुपये (142 अरब डॉलर) के निवेश का लक्ष्य रखा गया है, जो सरकार की दीर्घकालिक रणनीति को दर्शाता है। इसके साथ ही, प्लास्टिक पार्क और टेक्सटाइल पार्क जैसी नीतियों और 100% विदेशी निवेश (FDI) को स्वीकृत करने से उद्योग में तेजी से विकास हो रहा है।

रासायनिक उद्योग का भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान
भारतीय रासायनिक उद्योग देश की जीडीपी में 6% का योगदान करता है और 50 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है। भारत रासायनिक रंगों और कृषि रसायनों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है, जो वैश्विक बिक्री का 3% हिस्सा है। हालांकि, देश अभी भी पेट्रोकेमिकल्स और रासायनिक उत्पादों के लिए 45% आयात पर निर्भर है, जिसे घरेलू उत्पादन के माध्यम से कम करने की जरूरत है।

भविष्य की संभावनाएं
विशेष रसायन क्षेत्र 12% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ तेजी से बढ़ रहा है और भारत की आर्थिक स्थिति को सशक्त कर रहा है। इसके साथ ही, सरकार के ‘न्यून कार्बन’ रणनीति पर ध्यान देने से इस क्षेत्र में स्थायी विकास को बल मिल रहा है।

श्री पुरी ने उद्योग जगत से अपील की कि वे विश्व के प्रमुख रासायनिक हब्स, जैसे एंटवर्प और ह्यूस्टन से सीखें, जहां उत्पादन में सहयोग, कच्चे माल की साझेदारी और नवाचार के लिए सामान्य सुविधाएं बनाई जाती हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के सहयोग से भारत का पेट्रोकेमिकल उद्योग तेजी से बढ़ेगा और देश के $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य में अहम भूमिका निभाएगा।

निष्कर्ष
भारत का पेट्रोकेमिकल क्षेत्र न केवल अपनी आंतरिक मांग को पूरा करने में सक्षम हो रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी मजबूत उपस्थिति दर्ज कर रहा है। आने वाले वर्षों में निवेश और सरकारी नीतियों के साथ यह उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ बनने की ओर अग्रसर है।

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