राजकॉम्प इन्फो सर्विसेज लिमिटेड के जनरल मैनेजर छत्रपाल सिंह के घर एसीबी की छापेमारी में सामने आईं महंगी कारें और संपत्तियां
जयपुर एंटी करप्शन ब्यूरो के द्वारा शनिवार को की गई इस छापेमारी में छत्रपाल सिंह के पास पोर्श, डिफेंडर, जगुआर और स्कॉर्पियो जैसी महंगी कारें मिलीं। जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि ये कारें किसी और के नाम पर रजिस्टर्ड हैं, लेकिन छत्रपाल सिंह उनका इस्तेमाल कर रहे थे, जिससे इनकी वैधता पर सवाल उठ रहे हैं।
कई स्थानों पर छापेमारी
एसीबी ने 19 अक्टूबर को छत्रपाल सिंह के जयपुर, दिल्ली, गाजियाबाद और हनुमानगढ़ के आठ ठिकानों पर छापेमारी की। रविवार की सुबह भी दिल्ली और गाजियाबाद में दो जगहों पर तलाशी जारी रही। एसीबी की छह टीमों ने इन सभी ठिकानों पर गहन तलाशी ली और अब जांच के सभी दस्तावेज और सबूत एसीबी के महानिदेशक (डीजी) को सौंपे जाएंगे।
महंगी कारों और बाइक ने बढ़ाई जांच की गंभीरता
तलाशी के दौरान महंगी कारों के साथ एक बीएमडब्ल्यू बाइक भी मिली, जो किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत है। एसीबी अब उन लोगों को नोटिस जारी करने की तैयारी कर रही है, जिनके नाम पर ये वाहन पंजीकृत हैं, ताकि उनसे पूछताछ की जा सके और इन वाहनों के स्वामित्व और उपयोग की सच्चाई का पता लगाया जा सके।
एसीबी की जांच का अगला चरण
इस छापेमारी के बाद एसीबी अब छत्रपाल सिंह की संपत्तियों और आय के स्रोतों की गहन जांच करने की तैयारी में है। एसीबी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या छत्रपाल सिंह ने अपनी आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है और क्या इन महंगी कारों और बाइकों के पीछे कोई फर्जी स्वामित्व की साजिश है। जो लोग इन वाहनों के पंजीकरण में शामिल हैं, उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा और उनके बयान जांच में अहम भूमिका निभाएंगे।
यह छापेमारी एसीबी द्वारा सरकारी अधिकारियों पर की जा रही व्यापक कार्रवाई का हिस्सा है, जो अपनी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के संदेह में हैं। एसीबी सरकारी अधिकारियों के वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रही है।
निष्कर्ष
छत्रपाल सिंह के ठिकानों पर एसीबी की छापेमारी में मिली महंगी कारों और बीएमडब्ल्यू बाइक ने उनकी वित्तीय गतिविधियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एसीबी इस मामले में आगे की जांच कर रही है और यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि इन संपत्तियों के पीछे कौन लोग शामिल हैं। यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक अहम उदाहरण है और सरकारी अधिकारियों की वित्तीय पारदर्शिता को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।