सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 की वैधता बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 की वैधता को बरकरार रखते हुए महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। इस निर्णय के साथ ही कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें मदरसा अधिनियम को असंवैधानिक करार दिया गया था।
यह मामला तब प्रमुखता से उभरा जब 5 अप्रैल 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा अधिनियम को असंवैधानिक बताते हुए आदेश दिया था। इस आदेश पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा।
22 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट के फैसले से 17 लाख छात्रों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। कोर्ट ने कहा कि छात्रों को दूसरे स्कूल में स्थानांतरित करने का आदेश देना उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि देश में धार्मिक शिक्षा कभी भी अभिशाप नहीं रही है और धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है—“जीयो और जीने दो”।
कोर्ट की बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। इस बेंच ने 22 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मदरसा अजीजिया इजाजुतूल उलूम के मैनेजर अंजुम कादरी और अन्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक शिक्षा के महत्व को पहचाना है और इसे एक समानता और सहिष्णुता के दृष्टिकोण से देखने का प्रयास किया है। इस निर्णय से मदरसों में पढ़ाई कर रहे लाखों छात्रों को राहत मिली है और उनकी शिक्षा के अधिकार को मान्यता दी गई है।