फ़रवरी 3, 2025

कोयला क्षेत्र में निरंतर विकास: उत्पादन और ढुलाई में वृद्धि

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भारत का कोयला क्षेत्र लगातार प्रगति कर रहा है और राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हाल ही में, कोयला मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 तक कोयला उत्पादन और ढुलाई दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। यह वृद्धि देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हो रही है।

कोयला उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि

जनवरी 2025 में कुल कोयला उत्पादन 104.43 मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 100.05 मीट्रिक टन की तुलना में 4.38 प्रतिशत अधिक है। यह वृद्धि कोयला क्षेत्र में निरंतर सुधार, उन्नत खनन तकनीकों और बेहतर प्रबंधन रणनीतियों का परिणाम है।

कैप्टिव, वाणिज्यिक और अन्य निजी संस्थाओं का योगदान भी इस वृद्धि में महत्वपूर्ण रहा। जनवरी 2025 में इन संस्थाओं द्वारा 19.68 मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन किया गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 15.01 मीट्रिक टन से 31.07 प्रतिशत अधिक है। यह वृद्धि निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी और सरकार की अनुकूल नीतियों का प्रमाण है।

संचयी रूप से, अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक कुल कोयला उत्पादन 830.66 मीट्रिक टन रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 784.51 मीट्रिक टन की तुलना में 5.88 प्रतिशत अधिक है। यह आंकड़े भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत संकेत हैं।

कोयला ढुलाई में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी

कोयला उत्पादन के साथ-साथ, इसकी ढुलाई में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। जनवरी 2025 में कुल कोयला प्रेषण 92.40 मीट्रिक टन रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 86.92 मीट्रिक टन की तुलना में 6.31 प्रतिशत अधिक है। यह वृद्धि कुशल परिवहन व्यवस्थाओं और रेलवे तथा अन्य परिवहन माध्यमों की बढ़ती दक्षता का संकेत है।

कैप्टिव और अन्य संस्थाओं से कोयला ढुलाई भी तेजी से बढ़ रही है। जनवरी 2025 में यह आंकड़ा 17.72 मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 13.64 मीट्रिक टन की तुलना में 29.94 प्रतिशत अधिक है। यह निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार का प्रमाण है।

संचयी रूप से, अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक कुल कोयला ढुलाई 843.75 मीट्रिक टन रही, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 798.02 मीट्रिक टन से 5.73 प्रतिशत अधिक है। यह आंकड़े कोयला क्षेत्र में बेहतर लॉजिस्टिक्स प्रबंधन और सरकारी नीतियों की सफलता को दर्शाते हैं।

कोयला क्षेत्र की निरंतर प्रगति और भविष्य की संभावनाएं

भारत सरकार कोयला क्षेत्र को आधुनिक बनाने और इसे और अधिक कुशल बनाने के लिए विभिन्न सुधारात्मक उपाय कर रही है। नई खनन तकनीकों, डिजिटल मॉनिटरिंग और बेहतर प्रबंधन प्रक्रियाओं को अपनाकर इस क्षेत्र की उत्पादकता को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

सरकार द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख कदम निम्नलिखित हैं:

  • कोयला ब्लॉकों की नीलामी: अधिक निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार नियमित रूप से कोयला ब्लॉकों की नीलामी कर रही है।
  • पर्यावरण-संवेदनशील खनन: सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरणीय मानकों का सख्ती से पालन किया जा रहा है।
  • लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार: कोयला परिवहन को तेज और अधिक कुशल बनाने के लिए रेलवे नेटवर्क और अन्य लॉजिस्टिक्स संसाधनों में सुधार किया जा रहा है।
  • डिजिटल और ऑटोमेशन तकनीकों का उपयोग: खनन प्रक्रियाओं में आधुनिक तकनीकों को अपनाकर उत्पादकता और सुरक्षा में सुधार किया जा रहा है।

निष्कर्ष

कोयला क्षेत्र में हो रही यह निरंतर प्रगति भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जनवरी 2025 तक उत्पादन और ढुलाई दोनों में हुई वृद्धि इस क्षेत्र की स्थिरता और भविष्य की संभावनाओं को उजागर करती है। सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयासों से भारत कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी उन्नति को अपनाकर, भारत न केवल अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है बल्कि सतत विकास के लक्ष्य को भी साकार कर रहा है।

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