गऊघाट आश्रम में अष्टधातु की मूर्ति चोरी: स्वामी जयराम दास जी महाराज ने किया फल-जल का त्याग
गऊघाट आश्रम, शृंग्वेरपुरधाम: शृंग्वेरपुरधाम के नजदीक स्थित गऊघाट आश्रम में एक दुखद घटना घटी है, जहां मंदिर से 100 वर्ष पुरानी राधा-कृष्ण की अष्टधातु की मूर्तियां चोरी हो गई हैं। यह घटना तब सामने आई जब स्वामी जयराम दास जी महाराज ने सोमवार सुबह गंगा स्नान के बाद जल चढ़ाने आए। उन्होंने देखा कि मंदिर का ताला टूटा हुआ था, और अंदर जाकर महाराज जी को पता चला कि अष्टधातु की दो मूर्तियां वहां से गायब हैं।
स्वामी जयराम दास जी महाराज ने तुरंत अन्य साधुओं को इसकी सूचना दी और फिर पुलिस को भी मामले की जानकारी दी। पुलिस प्रशासन ने सूचना मिलने पर त्वरित कार्रवाई करते हुए एसीपी सोरांव जंग बहादुर यादव, एसओजी प्रभारी सुखचैन तिवारी, इंस्पेक्टर नवाबगंज और फोरेंसिक टीम को मौके पर भेजा। पुलिस ने मंदिर परिसर से कुछ सामान, जैसे आधार कार्ड और डायरी, बरामद किए हैं, जिसके आधार पर मानिकपुर थाना क्षेत्र से एक संदिग्ध को हिरासत में लिया गया है।
स्वामी जयराम दास जी महाराज का फल-जल का त्याग
मूर्ति चोरी की इस घटना से स्वामी जयराम दास जी महाराज अत्यंत आहत हैं। उन्होंने चोरी के बाद फल और जल का त्याग करने का निर्णय लिया है। इस विषय पर जानकारी मिलने पर एसीपी जंग बहादुर यादव और स्थानीय ग्रामीण उन्हें मनाने पहुंचे, लेकिन स्वामी जयराम दास जी महाराज ने उनके सामने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए नहीं माना।
सीसीटीवी कैमरे हुए बंद
आश्रम की सुरक्षा के लिए परिसर में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे। मुख्य पुजारी ने बताया कि चोरों ने कैमरों में छेड़छाड़ की है, जिससे घटना के समय की जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी। जानकारी के अनुसार, रविवार रात 12 बजे से 2 बजे के बीच चोरी की गई है। सीसीटीवी कैमरे 11:10 बजे तक चालू थे, लेकिन उसके बाद वे बंद कर दिए गए। उन्हें सुबह चार बजे पुनः चालू किया गया।
स्वामी जयराम दास जी महाराज ने कहा कि यह मूर्ति पहलवान स्वामी के समय की है और इसकी ऐतिहासिक महत्वता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पुलिस अपनी जांच में सफल होगी और मूर्तियां जल्द ही बरामद होंगी।
गऊघाट आश्रम में हुई यह चोरी न केवल साधु समुदाय के लिए एक बड़ा आघात है, बल्कि यह हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा पर भी सवाल उठाती है। ऐसी घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि हमें अपने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर सजग रहना चाहिए और हर संभव प्रयास करना चाहिए ताकि हमारी सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रहे।