रूस ने आतंकवादी संगठनों की लिस्ट से हटाने का अधिकार अदालतों को दिया

रूस ने एक अहम कदम उठाते हुए अपने कानून में बदलाव किया है, जिससे अब अदालतें किसी भी संगठन को आतंकवादी समूहों की लिस्ट से हटाने का अधिकार रखती हैं। यह संशोधन मंगलवार को रूसी संसद के निचले सदन, स्टेट ड्यूमा, में एक बिल के रूप में पास किया गया।
इस कानून के लागू होने के बाद, रूस के लिए अफगानिस्तान के तालिबान और सीरिया के विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के साथ डिप्लोमेटिक संबंध स्थापित करना अधिक आसान हो जाएगा। वर्तमान में, तालिबान और HTS रूस के आतंकवादी संगठनों की लिस्ट में शामिल हैं, जो उनके साथ किसी भी प्रकार के आधिकारिक संबंधों को अवरुद्ध करता है।
क्या है नया कानून?
इस नए कानून के तहत, अगर कोई संगठन आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियां बंद कर देता है, तो उसे आतंकवादी संगठनों की लिस्ट से हटाया जा सकता है। यह प्रक्रिया तब शुरू होती है जब रूस के अभियोजक जनरल अदालत में एक अपील दायर करते हैं। इस अपील में यह साबित किया जाता है कि संबंधित संगठन ने अब आतंकवादी गतिविधियों को बंद कर दिया है। इसके बाद, न्यायाधीशों को यह अधिकार होगा कि वे उस संगठन को आतंकवादी समूहों की सूची से बाहर कर दें।
तालिबान और HTS का मामला
रूस ने तालिबान को 2003 में और हयात तहरीर अल-शाम (HTS) को 2020 में आतंकवादी संगठन घोषित किया था। अब इस नए कानून के तहत, यदि ये संगठन अपनी आतंकवादी गतिविधियां रोकते हैं, तो इनका नाम आतंकवादी समूहों की सूची से हटाया जा सकता है, जिससे रूस के साथ उनके संवाद की राह आसान हो सकती है।
राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव
इस कानून का पास होना रूस की कूटनीतिक रणनीति के तहत एक महत्वपूर्ण कदम है। रूस के लिए यह बदलाव अफगानिस्तान और सीरिया जैसे देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने में मदद कर सकता है। हालांकि, यह फैसला अन्य देशों की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनी मानकों पर भी असर डाल सकता है, क्योंकि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष में इस प्रकार के निर्णय संवेदनशील हो सकते हैं।
रूस का यह कदम दर्शाता है कि वह अपने कूटनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आतंकवाद के मुद्दे पर लचीलापन दिखा सकता है, लेकिन इस कदम को पूरी दुनिया द्वारा स्वीकार किया जाएगा या नहीं, यह देखने वाली बात होगी।