अधिवक्ता और अर्दली के बीच थप्पड़ विवाद से तहसील में हंगामा, पुलिस ने कराया समझौता

कौशांबी जिले के मंझनपुर तहसील में मंगलवार को एक अप्रत्याशित घटना ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया। यह विवाद उस समय उत्पन्न हुआ जब एक फरियादी अपने अधिवक्ता के साथ एसडीएम कार्यालय में शिकायत दर्ज कराने पहुंचा। आरोप है कि फरियादी के 40 साल पुराने मकान को नगर पंचायत अध्यक्ष ने अवैध घोषित कर गिरा दिया था, जबकि फरियादी का कहना है कि वह मकान उनकी पूर्वजों की संपत्ति है।
कैसे शुरू हुआ विवाद
जब फरियादी और अधिवक्ता एसडीएम कार्यालय में शिकायत पत्र देने गए, तब एसडीएम के अर्दली ने कथित रूप से वह प्रार्थना पत्र छीन लिया। इस हरकत से गुस्साए अधिवक्ता ने अर्दली को थप्पड़ जड़ दिया। यह घटना देखते ही देखते पूरे तहसील में चर्चा का विषय बन गई, और अन्य अधिवक्ता भी मौके पर पहुंचकर अपने साथी अधिवक्ता का समर्थन करने लगे।
स्थिति ने लिया गंभीर मोड़
घटना के बाद स्थिति गंभीर होती देख एसडीएम आकाश सिंह ने तत्काल थाना मंझनपुर पुलिस को बुलाया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों को शांत कराने की कोशिश की। करीब एक घंटे तक विवाद चलता रहा, जिसके बाद पुलिस ने दोनों पक्षों से माफी मंगवाकर मामला सुलझाया।
एसडीएम ने दी सफाई
इस घटना पर एसडीएम आकाश सिंह ने कहा कि यह पूरी तरह से आपसी विवाद था, जिसे आपसी सहमति से सुलझा लिया गया है। दोनों पक्षों ने माफी मांग ली है, इसलिए कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई।
फरियादी का आरोप
फरियादी ने नगर पंचायत अध्यक्ष पर आरोप लगाया कि उनके मकान को बिना किसी वैध कारण के गिरा दिया गया, जबकि वह मकान उनके पूर्वजों की संपत्ति थी। उन्होंने न्याय की गुहार लगाई और कहा कि इस मामले में उन्हें न्याय मिलना चाहिए।
वकीलों का आक्रोश
इस घटना के बाद तहसील के वकीलों में आक्रोश देखा गया। अधिवक्ता संघ ने इसे अनुचित और अपमानजनक बताया और चेतावनी दी कि यदि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई गईं, तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल
हालांकि पुलिस और प्रशासन ने विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझा लिया, लेकिन इस घटना ने सरकारी कार्यालयों में नागरिकों और कर्मचारियों के बीच व्यवहार पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
निष्कर्ष
यह घटना केवल एक थप्पड़ विवाद से अधिक, प्रशासन और नागरिकों के बीच विश्वास की कमी को उजागर करती है। जहां एक ओर फरियादी अपने मकान के लिए न्याय की उम्मीद कर रहा है, वहीं दूसरी ओर यह घटना सरकारी कार्यालयों में अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर देती है।