योग: भारत की प्राचीन विरासत को विश्व ने अपनाया – योगी आदित्यनाथ का संदेश

लखनऊ, 21 जून 2025:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से एक प्रेरणादायक संदेश साझा किया। उन्होंने योग को भारतीय ऋषि परंपरा की अनुपम देन बताया, जो केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन और आत्मिक उन्नति का भी माध्यम है।
योगी आदित्यनाथ ने संस्कृत श्लोक “शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्” से अपने संदेश की शुरुआत की, जिसका अर्थ है – “शरीर ही धर्म साधना का पहला साधन है।” उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ शरीर और मस्तिष्क ही जीवन में सच्चे धर्म और कर्तव्यों को निभाने की नींव रखता है। योग इस दिशा में एक सशक्त साधन के रूप में कार्य करता है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने योग की वैश्विक मान्यता सुनिश्चित कर 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाने का जो निर्णय लिया, उसने भारत की आध्यात्मिक विरासत को पूरे विश्व से जोड़ने का कार्य किया है। आज संपूर्ण विश्व योग को अपनाकर भारत के गौरव को साझा कर रहा है।
योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट में आगे कहा कि भारत की इस अमूल्य परंपरा से जुड़कर प्रत्येक भारतीय स्वयं को गर्वित महसूस करता है। उन्होंने 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में सभी योग साधकों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर पर योगी आदित्यनाथ स्वयं भी लखनऊ में एक सार्वजनिक योग सत्र में शामिल हुए, जहां उन्होंने अन्य नागरिकों के साथ योगाभ्यास किया। सोशल मीडिया पर साझा की गई तस्वीरों में वह ध्यान, प्राणायाम और योग मुद्राओं का अभ्यास करते दिखे, जो लोगों को प्रेरणा देने वाला दृश्य था।
निष्कर्ष:
योग केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है। योगी आदित्यनाथ का यह संदेश इस बात की पुष्टि करता है कि योग भारतीय संस्कृति का वह अमूल्य रत्न है जिसे विश्व ने अब अपनाया है। योग दिवस न केवल स्वास्थ्य का उत्सव है, बल्कि यह आत्मिक उन्नति और वैश्विक एकता का प्रतीक भी बन चुका है।